NCERT Solutions for Class 12 Hindi

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NCERT Solutions for Class 12 Hindi - Vitan

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  • Chapter 1 Silvar Vaiding

    मनोहर श्याम जोशी (Manohar Shyam Joshi) द्वारा रचित "सिल्वर वैडिंग" एक मार्मिक कहानी है जो एक मध्यमवर्गीय परिवार की भावनात्मक स्थितियों को उजागर करती है। इस अध्याय में शादी की 25वीं वर्षगांठ (सिल्वर वैडिंग) के बहाने परिवार के संबंधों और उनके अंदर के विचारों का विश्लेषण किया गया है। कहानी का मुख्य पात्र अपनी पत्नी के साथ जीवन की यादों को साझा करता है और अपने रिश्ते की मजबूती का एहसास करता है।

    कहानी हमें बताती है कि एक लंबा रिश्ता निभाने के लिए केवल प्रेम ही नहीं, बल्कि समझदारी और सहनशीलता भी आवश्यक होती है। इसके माध्यम से लेखक ने वैवाहिक जीवन के उतार-चढ़ाव और उसमें स्थायित्व के महत्व को दर्शाया है।

  • Chapter 2 Joojh

    "जूझ" आनंद यादव (Anand Yadav) के द्वारा रचित एक आत्मकथात्मक रचना है, जिसमें लेखक ने अपने जीवन के संघर्षों और जूझ को प्रस्तुत किया है। यह अध्याय एक लेखक की मानसिक स्थिति और सामाजिक जीवन के संघर्ष को चित्रित करता है, जो अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं से जूझ रहा है। यह आत्मकथा लेखक की निजी अनुभूतियों और जीवन के संघर्षों का जीवंत चित्रण है, जिसमें सामाजिक और व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करते हुए वे अपने लेखन के प्रति प्रतिबद्ध रहते हैं।

    इस लेख में लेखक ने जीवन की चुनौतियों को सृजनात्मकता में बदलने का संदेश दिया है और यह दिखाया है कि संघर्ष केवल बाहरी ही नहीं, बल्कि आंतरिक भी होता है।

  • Chapter 3 Ateet Mein Dabe Paanv

    "अतीत में दबे पाँव" एक यात्रा वृत्तांत है जिसमें लेखक 'ओम थानवी (Om Thanvee)' अपने बचपन के शहर की यात्रा करते हैं और पुराने दिनों की यादों में खो जाते हैं। यह अध्याय अतीत के उन पलकों को फिर से जीने जैसा है, जिनकी छाप आज भी लेखक के दिल में गहरी है। बचपन की गलियों और पुराने मित्रों के साथ बिताए लम्हों की स्मृतियाँ उनके सामने जीवंत हो उठती हैं।

    लेखक ने अतीत की यादों को बहुत ही मार्मिक तरीके से प्रस्तुत किया है, जिससे पाठक भी उन स्मृतियों से जुड़ा हुआ महसूस करता है। इस अध्याय में यह संदेश निहित है कि समय भले ही बदल जाए, परंतु यादें हमेशा हमारे साथ रहती हैं।

  • Chapter 4 Daayaree Ke Panne

    "डायरी के पन्ने" एक डायरी की शैली में लिखा गया अध्याय है, जिसमें लेखक 'ऐन फ्रैंक (Ain Frank)' अपने निजी विचारों, अनुभवों और जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं को संक्षेप में प्रस्तुत करते हैं। यह एक आत्ममंथन की प्रक्रिया है जिसमें लेखक अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को परखते हैं और अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। डायरी के ये पन्ने हमें उनके जीवन की सच्चाई और संघर्षों से अवगत कराते हैं, साथ ही उनके विचारों की गहराई को भी उजागर करते हैं। लेखक का दृष्टिकोण जीवन के प्रति सकारात्मक और प्रेरणादायक है, जो पाठकों को आत्मविश्लेषण के लिए प्रेरित करता है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi - Aroh

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  • Chapter 1 Aatmparichay

    इस अध्याय में कवि हरिवंशराय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) आत्मा के महत्व और उसकी पहचान पर विचार प्रस्तुत करते हैं। कवि आत्म-चिंतन के माध्यम से यह समझाने का प्रयास करते हैं कि आत्मा की पहचान से ही मनुष्य का वास्तविक अस्तित्व बनता है। आत्म-विश्लेषण के माध्यम से व्यक्ति को अपने अस्तित्व का बोध होता है, और यही बोध उसके आत्म-सम्मान और आत्म-विकास का आधार बनता है।

  • Chapter 2 Patang

    इस अध्याय में आलोक धन्वा (Aalok Dhanva) के द्वारा पतंग का बच्चों के जीवन में विशेष स्थान और उसके माध्यम से उनकी मासूमियत और खुशियों का वर्णन किया गया है। पतंग उड़ाने की कला बच्चों को न केवल उत्साहित करती है, बल्कि उनके स्वप्नों को भी ऊँचाइयाँ देती है। पतंग से जुड़ी भावनाएँ, चुनौतियाँ, और उसकी डोर से बच्चों का लगाव उनके मनोभावों को प्रदर्शित करता है।

  • Chapter 3 Kavita Ke Bahane

    कुंवर नारायण (Kunwar Narayan) के द्वारा रचित यह अध्याय कविता के माध्यम से विचारों और भावनाओं को प्रस्तुत करने की शक्ति को रेखांकित करता है। कवि बताते हैं कि कविता न केवल मन की गहराईयों को अभिव्यक्त करने का एक माध्यम है, बल्कि यह समाज की सोच और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। कविता के बहाने कवि अपने सामाजिक और दार्शनिक विचारों को प्रस्तुत करते हैं।

  • Chapter 4 Kaimre Me Band Apahij

    रघुवीर सहाय (Raghuveer Sahai) के द्वारा रचित इस कहानी में एक अपाहिज व्यक्ति की मार्मिक स्थिति और उसके भीतर के संघर्ष का वर्णन है। यह व्यक्ति शारीरिक कमी के बावजूद अपनी इच्छाशक्ति और आत्म-बल के सहारे जीवन की कठिनाइयों का सामना करता है। यह कहानी समाज में अपाहिजों के प्रति दृष्टिकोण को बदलने का संदेश देती है।

  • Chapter 5 Saharsh Sweekara Hai

    इस कविता में कवि गजानन माधव मुक्तिबोध (Gajanan Madhav Muktibodh), जीवन की अनिश्चितताओं और कठिनाइयों को स्वीकार करने का संदेश देते हैं। कवि का मानना है कि हर स्थिति का स्वागत सहजता से करना चाहिए, चाहे वह सुखद हो या दुखद। जीवन में संतुलन बनाए रखने और परिस्थितियों को सहर्ष स्वीकार करने की प्रेरणा यह कविता देती है।

  • Chapter 6 Usha

    शमशेर बहादुर सिंह (Shamsher Bahadur Singh) के द्वारा रचित यह कविता सुबह की पहली किरण और उसके साथ आने वाली ताजगी का वर्णन करती है। कवि ने उषा के सौंदर्य और उसकी अद्भुत छटा का बारीकी से चित्रण किया है, जो प्रकृति की जीवंतता और आनंद को दर्शाता है। उषा का आना एक नई शुरुआत का प्रतीक है जो हर दिन को ऊर्जा और स्फूर्ति से भर देता है

  • Chapter 7 Badal Rag

    इस कविता में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' (Suryakant Tripathi 'Nirala') ने बादलों के विभिन्न रूपों और उनकी अद्वितीय ध्वनियों का वर्णन किया है। कवि बादलों के संगीत और उनकी गतिशीलता से प्रेरणा लेते हैं। यह कविता प्राकृतिक सौंदर्य को समझने और प्रकृति के साथ मन के रिश्ते को स्थापित करने का माध्यम है।

  • Chapter 8 Kavitavali (uttarkand se)

    तुलसीदास की इस कविता में भगवान राम की आदर्शवादी छवि और उनके गुणों का वर्णन किया गया है। राम के प्रति समाज में आस्था और उनका आदर्श जीवन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। इस कविता में भगवान राम की महानता और उनकी न्यायप्रियता को प्रस्तुत किया गया है।

  • Chapter 9 Rubaiyan

    फ़िराक़ गोरखपुरी (Firaq Gorakhpuri) के द्वारा रचित यह अध्याय चार पंक्तियों में जीवन के गहरे दर्शन, प्रेम, और अनुभवों का चित्रण करता है। रुबाइयाँ अपनी संक्षिप्तता में गहरी बात कहने की कला को प्रदर्शित करती हैं। इनमें जीवन के महत्वपूर्ण तथ्यों और अनुभूतियों का सार प्रस्तुत किया गया है।

  • Chapter 10 Chhota Mera Khet aur Bagulo Ke Pankh

    इस कविता में कवि उमाशंकर जोशी (Umashankar Joshi) अपने छोटे से खेत और उसमें आए बगुलों के सुंदर दृश्य का वर्णन करते हैं। यह दृश्य कवि को आत्मिक शांति और आनंद की अनुभूति कराता है। प्रकृति के प्रति कवि का प्रेम और उसकी सराहना इस कविता में झलकती है।

  • Chapter 11 Bhaktin

    महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) के द्वारा रचित भक्तिन एक महिला के धार्मिक विश्वास और उसके समर्पण की कहानी है। उसकी भक्ति और निष्ठा का जीवन पर गहरा प्रभाव है। यह कहानी सच्ची भक्ति की शक्ति को उजागर करती है और यह दर्शाती है कि भक्ति मनुष्य के जीवन में नई दिशा और ऊर्जा का संचार कर सकती है।

  • Chapter 12 Bazar Darshan

    इस अध्याय में कवि जैनेन्द्र कुमार (Jainendra Kumar) ने बाज़ार में देखने वाले विविध दृश्यों का वर्णन किया है। कवि बाज़ार की हलचल और उसमें मौजूद लोगों की विविधता को देखते हैं। इस बाजार दर्शन में सामाजिक संरचना और मानव व्यवहार की झलक देखने को मिलती है।

  • Chapter 13 Kale Megha Pani De

    इस कविता में कवि धर्मवीर भारती (Dharamvir Bharti) ने वर्षा की आकांक्षा को व्यक्त किया है। काले मेघों को देखकर कवि की इच्छा होती है कि वे धरती पर वर्षा कर उसे हरा-भरा बना दें। यह कविता पृथ्वी के जीवन के लिए पानी की आवश्यकता और उसकी महत्ता का प्रतीक है।

  • Chapter 14 Pahalwan Ki Dholak

    फणीश्वरनाथ रेणु (Phanishwarnath Renu) के द्वारा रचित इस कहानी में पहलवान की ढोलक को उसके जीवन का अभिन्न अंग बताया गया है। पहलवान की साधना और उसकी मेहनत का प्रतीक उसकी ढोलक है। यह कहानी संघर्ष और अपनी कड़ी मेहनत के प्रति उसकी निष्ठा को दर्शाती है।

  • Chapter 15 Charlie Chaplin Yani Hum Sab

    विष्णु खरे (Vishnu Khare) के द्वारा रचित यह अध्याय चार्ली चैपलिन के जीवन और उनकी कला पर केंद्रित है। उनकी कॉमेडी में छिपे संदेश और समाज की विडंबनाओं का प्रभावशाली चित्रण किया गया है। चार्ली चैपलिन का हर व्यक्ति से जुड़ाव और उनका साधारण से असाधारण बन जाना प्रेरणादायक है।

  • Chapter 16 Namak

    इस अध्याय में नमक को मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण घटक बताया गया है। नमक की महत्ता को प्रतीकात्मक रूप से समाज में लोगों के रिश्तों और उनकी आवश्यकता के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह पाठ छोटे तत्वों के बड़े प्रभाव को दर्शाता है।

  • Chapter 17 Shireesh Ke Phool

    इस कविता में कवि हजारी प्रसाद द्विवेदी (Hazari Prasad Dwivedi), शिरीष के फूलों की सुंदरता और उनकी सादगी का वर्णन किया गया है। कवि इन फूलों को जीवन में सरलता और सौम्यता का प्रतीक मानते हैं। यह कविता जीवन की सरलता और उसे सुंदरता से जीने का संदेश देती है।

  • Chapter 18 Shram Vibhajan aur Jati Pratha

    इस अध्याय में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर (Baba Saheb Bhimrao Ambedkar) ने भारतीय समाज में जाति प्रथा और श्रम विभाजन की कुप्रथाओं का विश्लेषण किया है। लेखक जाति आधारित भेदभाव और उसके दुष्प्रभावों को बताते हैं और समानता का महत्व रेखांकित करते हैं। यह पाठ समाज में समानता और भाईचारे के महत्व को उजागर करता है।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi - Antral

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  • Chapter 1 Sooradaas Kee Jhopadee

    "सूरदास की झोपड़ी" एक मार्मिक कहानी है जो समाज में व्याप्त गरीब-अमीर के भेदभाव को उजागर करती है। सूरदास, जो एक निर्धन और नेत्रहीन व्यक्ति है, समाज की कठिनाइयों के बीच अपनी झोपड़ी में जीवन बिताता है। उसके पास भले ही धन न हो, लेकिन उसकी आत्मा पवित्र और दयालु है। कहानी में जब एक प्रभावशाली व्यक्ति उसकी झोपड़ी को हटाने की कोशिश करता है, तो सूरदास विनम्रता और सहिष्णुता का परिचय देता है।

    इस कथा के माध्यम से लेखक प्रेमचंद (Premchand) ने समाज में सहानुभूति और मानवता के महत्व को रेखांकित किया है और यह बताया है कि सच्ची संपत्ति प्रेम और विनम्रता होती है।

  • Chapter 2 Aarohan

    "आरोहण" एक प्रेरणादायक आत्मकथात्मक रचना है जो व्यक्ति की दृढ़ इच्छाशक्ति और संघर्षशीलता का परिचय देती है। इसमें लेखक ने अपने जीवन के कठिन दौर और उन संघर्षों का उल्लेख किया है, जिनके सहारे वे आगे बढ़ते गए। इस अध्याय में 'आरोहण' का अर्थ कठिनाइयों के बावजूद जीवन में ऊपर उठना और नई ऊंचाइयों को छूना है।

    लेखक 'संजीव (Sanjeev)' अपने अनुभवों से पाठकों को यह सिखाते हैं कि जीवन में चुनौतियाँ आती हैं, लेकिन उन्हें स्वीकार कर मेहनत और लगन के साथ आगे बढ़ना चाहिए। यह अध्याय पाठकों को आत्मविश्वास और संकल्प की प्रेरणा देता है।

  • Chapter 3 Biskohar Kee Maatee

    "बिस्कोहर की माटी" एक सुंदर यात्रा-वृत्तांत है, जिसमें लेखक विश्वनाथ त्रिपाठी (Vishwanath Tripathi) अपने जन्मस्थान बिस्कोहर की ओर लौटते हैं और वहां की मिट्टी, लोगों, और जीवन की सादगी का वर्णन करते हैं। इस अध्याय में लेखक ने अपने गाँव की संस्कृति, रीति-रिवाज, और ग्रामीण जीवन के सजीव चित्रण किए हैं। गाँव की मिट्टी से जुड़ी भावनाएँ और वहाँ की सरल जीवनशैली ने लेखक को गहरे से प्रभावित किया है।

    यह कहानी उन जड़ों और आत्मीयता का परिचय कराती है, जो व्यक्ति को उसकी पहचान और आत्मीयता से जोड़ती है। पाठकों को यह कहानी ग्रामीण संस्कृति और प्रकृति से प्रेम का महत्व समझाने का प्रयास करती है।

  • Chapter 4 Apana Maalava Khaoo-Ujaadoo Sabhyata Me

    यह अध्याय लेखक के अपने क्षेत्र 'मालवा' के प्रति गहरे प्रेम और उसके बदलते स्वरूप के प्रति चिंता को प्रकट करता है। 'अपना मालवा खाऊ-उजाड़ू सभ्यता में' में लेखक ने अपने क्षेत्र की परंपराओं, प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर का बखान किया है। इसके साथ ही, लेखक आधुनिकता और औद्योगिकीकरण के प्रभाव में उस क्षेत्र के उजड़ने और प्रकृति के नष्ट होने पर भी गहरी चिंता व्यक्त करते हैं।

    इस रचना के माध्यम से लेखक यह संदेश देना चाहते हैं कि सभ्यता के विकास के साथ-साथ हमें अपनी जड़ों और परंपराओं को भी संरक्षित करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी उनकी सुंदरता और महत्ता का अनुभव कर सकें।

NCERT Solutions for Class 12 Hindi - Antra

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  • Chapter 1 Devsena Ka Geet

    जयशंकर प्रसाद (Jayashankar Prasaad)​ द्वारा रचित "देवसेना का गीत" एक सशक्त कविता है जिसमें प्रेम, त्याग और समर्पण का अद्भुत समन्वय है। देवसेना अपने प्रिय के लिए अपनी भावनाओं को गीत के माध्यम से प्रकट करती है। वह अपने प्रेम में पूर्ण समर्पण और त्याग का भाव रखती है। देवसेना अपने प्रेम को किसी सांसारिक बंधन में बाँधना नहीं चाहती, बल्कि वह इसे ईश्वर प्रदत्त मानती है। यह प्रेम एक साधना के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर आत्मा की शुद्धि की ओर संकेत करता है।

    देवसेना का प्रेम उसकी आत्मा की गहराई से उपजा है, और यह प्रेम की पवित्रता और उच्चता को दर्शाता है।

  • Chapter 2 Geet Gane Do Mujhe Aur Saroj Smriti

    "गीत गाने दो मुझे" में कवि 'सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला (Sooryakaant Tripaathee Niraala)' ने अपने हृदय की अभिव्यक्ति को स्वतंत्रता और रचनात्मकता के माध्यम से दर्शाया है। कवि चाहता है कि उसे गीत गाने का अवसर दिया जाए ताकि वह अपनी भावनाओं को पूर्णता से प्रकट कर सके। वहीं, "सरोज स्मृति" में कवि अपनी बहन सरोज की स्मृतियों को संजोता है, जो अब इस संसार में नहीं है। सरोज के प्रति कवि का प्रेम और उसकी यादों से जुड़ी हुई संवेदनाएँ इस कविता में स्पष्ट रूप से झलकती हैं।

    कवि के मन में अपने प्रियजनों के प्रति करुणा, प्यार, और स्मृतियों की गहरी छाप है, जो उनके जीवन को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

  • Chapter 3 Yah Deep Akela

    "यह दीप अकेला" कविता में दीपक का प्रतीकात्मक रूप में प्रयोग किया गया है। दीपक एकांत में जलता है, अपने चारों ओर अंधकार को समाप्त करने का प्रयास करता है। यह कविता त्याग, सेवा, और आत्म-बलिदान की भावना को दर्शाती है। दीपक अकेला होकर भी समाज को उजाला देने का प्रयास करता है। यह उन व्यक्तियों का प्रतीक है जो अपने स्वार्थ को भूलकर समाज की भलाई में लगे रहते हैं।

    कविता के माध्यम से कवि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' (Sachchidaanand Heeraanand Vaatsayaayan Agyey) यह संदेश देना चाहते हैं कि हमें अपनी कठिनाइयों को पीछे छोड़ते हुए दूसरों के जीवन को रोशन करने का प्रयास करना चाहिए।

  • Chapter 4 Banaras aur Disha

    इस अध्याय में बनारस शहर का सौंदर्य, धार्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का वर्णन किया गया है। बनारस की गलियाँ, वहाँ के मंदिर, घाट, और गंगा नदी का अद्भुत दृश्य लेखक के मन को मोह लेते हैं। इस शहर का ऐतिहासिक महत्व और यहाँ की धार्मिक परंपराएँ इस अध्याय में प्रमुखता से उभरती हैं। बनारस को भारत की सांस्कृतिक राजधानी माना जाता है और इसके वातावरण में एक विशेष प्रकार की आध्यात्मिकता है।

    लेखक 'केदारनाथ सिंह (Kedarnath Singh)' बनारस के प्रति अपने प्रेम और उस जगह की महत्ता को व्यक्त करता है, जिससे यह स्थान केवल एक शहर नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक स्थल के रूप में उभरता है।

  • Chapter 5 Ek Kam aur Satya

    "एक कम" और "सत्य" में जीवन के गहरे सत्य और मानवीय संबंधों का विश्लेषण किया गया है। यह अध्याय यह संदेश देता है कि सत्य को समझने के लिए व्यक्ति को अपने भीतर झांकना पड़ता है। इसे समझने में हमें कई बार कठिनाइयाँ आती हैं, परंतु यह सच्चाई ही हमारे जीवन को एक नई दिशा देती है। सत्य का यह स्वरूप हमें अपनी गलतियों और कमियों को स्वीकार करने की प्रेरणा देता है।

    लेखक विष्णु खरे (Vishnu Khare) का मानना है कि जीवन में सत्य और ईमानदारी को अपनाने से हम अपने जीवन को संतुलित और सुखद बना सकते हैं।

  • Chapter 6 Vasant Aaya

    "वसंत आया" एक ऋतु आधारित कविता है, जो वसंत के आगमन के साथ प्रकृति के पुनर्जन्म और नए जीवन का प्रतीक है। वसंत ऋतु को कवि रघुवीर सहाय (Raghuveer Sahay) ने एक आनंदमयी समय के रूप में देखा है, जिसमें पेड़-पौधे, पक्षी और अन्य जीव-जंतु एक नई ऊर्जा से भर जाते हैं। वसंत का स्वागत करते हुए कवि उसे प्रेम, सौंदर्य और आनंद की ऋतु के रूप में प्रस्तुत करता है।

    यह कविता हमें जीवन में नई शुरुआत, सकारात्मकता और उत्साह का महत्व बताती है।

  • Chapter 7 Bharat Ram Ka Prem

    "भरत राम का प्रेम" में भगवान राम और उनके भाई भरत के बीच गहरे प्रेम और समर्पण का वर्णन है। भरत ने राम के वनवास जाने के बाद अयोध्या का राज्य संभालने के बजाय राम के चरणों की खड़ाऊँ को सिंहासन पर रखा और खुद एक त्यागी जीवन जीया। तुलसीदास (Tulsidas) द्वारा रचित यह अध्याय भ्रातृ प्रेम की एक सुंदर मिसाल प्रस्तुत करता है, जिसमें भरत का राम के प्रति आदर, प्रेम, और समर्पण दृष्टिगोचर होता है। यह रचना भाई-भाई के अटूट रिश्ते और सच्चे प्रेम की उच्चता को दर्शाती है।

  • Chapter 8 Barahmasa

    "बारहमासा" में बारह महीनों का वर्णन है, जो भारतीय ग्रामीण जीवन का अभिन्न अंग है। इसमें हर महीने के बदलते मौसम, प्रकृति के स्वरूप और जीवन पर उनके प्रभाव का चित्रण किया गया है। भारतीय किसानों और ग्रामीण जनजीवन के लिए बारहमासा बहुत मायने रखता है क्योंकि यह उनके जीवन से गहराई से जुड़ा है।

    मलिक मुहम्मद जायसी (Malik Muhammad Jayasi) द्वारा रचित इस रचना के माध्यम से ऋतु चक्र का महत्व और भारतीय संस्कृति में उसकी भूमिका स्पष्ट होती है।

  • Chapter 9 Vidyaapati Ke Pad

    विद्यापति के पदों में भक्ति और प्रेम का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। विद्यापति अपने पदों के माध्यम से भगवान और प्रेमी के प्रति गहरे भावों को प्रकट करते हैं। इन पदों में उनकी भक्ति का एक स्वरूप है जो भगवान के प्रति गहरी आस्था और प्रेम की भावना से भरा हुआ है।

    विद्यापति का यह भावपूर्ण अंदाज उन्हें अपने समय के एक महान कवि के रूप में स्थापित करता है।

  • Chapter 10 Ramchandrachandrika

    "रामचंद्रिका" एक महाकाव्य है जिसमें भगवान राम के आदर्श चरित्र और उनकी जीवन यात्रा का वर्णन किया गया है। यह काव्य रचना राम के महान व्यक्तित्व, उनकी मर्यादा और उनके चरित्र की श्रेष्ठता को महिमामंडित करती है। इसके माध्यम से कवि केशवदास (Keshavdas) ने यह संदेश दिया है कि भगवान राम केवल एक देवता नहीं, बल्कि एक आदर्श पुरुष हैं, जिनसे समाज को प्रेरणा मिलती है।

  • Chapter 11 Kavit aur Savaiya

    "कवित्त और सवैया" हिंदी काव्य के दो महत्वपूर्ण छंद हैं, जिनका प्रयोग कवियों द्वारा सुंदरता और विचारों की गहराई को अभिव्यक्त करने के लिए किया जाता है। कवित्त छंद में शब्दों की लय और भावों का प्रवाह महत्वपूर्ण होता है, जो श्रोता के मन में गहरी छाप छोड़ता है। सवैया छंद में गेयता और प्रवाह के साथ-साथ विशेष प्रकार का अनुप्रास होता है, जिससे काव्य में आकर्षण आता है।

    इस अध्याय में कवि 'घनानंद (Ghananand)' ने इन छंदों के माध्यम से प्रेम, भक्ति और निस्वार्थता का महत्व समझाया है।

  • Chapter 12 Premghan Ki Chhaya Smriti

    "प्रेमघन की छाया स्मृति" कवि की अपने प्रिय के प्रति गहरे प्रेम की अभिव्यक्ति है। इसमें कवि 'रामचंद्र शुक्ल (Ramchandra Shukal)' अपने प्रिय को याद करते हुए उसके साथ बिताए गए क्षणों को स्मरण करता है। प्रेमघन के प्रति उसकी भावनाएँ अत्यंत गहरी और मार्मिक हैं, जो इस कविता में स्पष्ट होती हैं। कवि का मानना है कि प्रेम न केवल एक व्यक्तिगत अनुभव है, बल्कि यह आत्मा का ऐसा अंश है जो जीवन में सकारात्मकता और संतोष लाता है।

    इस अध्याय में कवि का प्रेम का निरंतर प्रवाह एक प्रेरणादायक संदेश देता है और भावनात्मक रूप से जुड़े अनुभवों को साझा करता है।

  • Chapter 13 Sumirini Ke Manke

    "सुमिरिनी के मनके" में कवि 'पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी (Pandit Chandradhar Sharma Guleri)' ने माला के मणकों का प्रतीकात्मक प्रयोग किया है, जहाँ मणके व्यक्ति के जीवन के विभिन्न अनुभवों को दर्शाते हैं। यह कविता व्यक्ति के जीवन में आए संघर्षों और सुख-दुःख के अनुभवों की महत्ता को समझाती है। मणकों को एक-एक करके सुमिरनी की माला में पिरोना आत्मानुभव और जीवन की यात्रा का प्रतीक है।

    इसमें कवि ने यह संदेश दिया है कि प्रत्येक अनुभव हमें जीवन में कुछ नया सिखाता है और उसे आत्मसात करके हम अपने जीवन को और भी सुंदर बना सकते हैं।

  • Chapter 14 Kachcha Chittha

    "कच्चा चिट्ठा" में जीवन की सच्चाईयों का खुलासा किया गया है। यह अध्याय व्यक्ति के व्यक्तित्व और सामाजिक ढाँचे की कच्ची सच्चाईयों को उजागर करता है। इसमें बताया गया है कि जीवन में हर व्यक्ति की अपनी कहानी होती है, जो अक्सर सामाजिक दबावों और छिपी हुई इच्छाओं से भरी होती है। इस रचना के माध्यम से लेखक 'ब्रजमोहन व्यास (Brajmohan Vyas)' ने दिखाया है कि किस तरह इंसान की असली पहचान और उसकी सच्चाई को समाज के ढोंग और दिखावे के कारण दबा दिया जाता है।

    यह अध्याय सामाजिक परिदृश्य का सजीव चित्रण प्रस्तुत करता है।

  • Chapter 15 Sanvadiya

    संवदिया 'फणीश्वरनाथ रेनू 'द्वारा लिखित एक संवेदनशील और मार्मिक कहानी है जो ग्रामीण भारत की सजीव झलक प्रस्तुत करती है। यह कहानी समाज के निम्न वर्ग, विशेषकर संवदिया समुदाय, के जीवन के संघर्षों और उनकी व्यथा को उजागर करती है।

    संवदिया एक ऐसा व्यक्ति है जिसका काम किसी के निधन पर गाँव में सूचना देना और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में सहयोग करना होता है। कहानी का मुख्य पात्र एक गरीब, समाज द्वारा उपेक्षित संवदिया है, जो अपने कार्य के प्रति निष्ठावान और समर्पित है। समाज में उसकी भूमिका महत्वपूर्ण होते हुए भी उसे हेय दृष्टि से देखा जाता है। उसका काम उसे एक तरह से मृत्यु का दूत बनाता है, जिससे समाज में उसके प्रति अजीब-सी दूरी और उदासीनता है।

    रेनू ने इस पात्र के माध्यम से न केवल समाज की संरचना को प्रश्नांकित किया है, बल्कि उस वर्ग का दर्द और उसकी आंतरिक पीड़ा भी उकेरी है, जो सदैव हाशिए पर रहता है। संवदिया का जीवन संघर्षपूर्ण है; वह आर्थिक अभाव, सामाजिक तिरस्कार और भावनात्मक अकेलेपन का सामना करता है। अपनी परिस्थितियों में भी वह दूसरों की सहायता करने का प्रयास करता है, लेकिन उसका कार्य केवल दुख और मृत्यु के समय याद किया जाता है।

    इस कहानी में रेनू ने समाज के उस संवेदनहीन पहलू को उजागर किया है जहाँ निम्न वर्ग के लोगों का महत्व केवल उनके काम तक सीमित रहता है। संवदिया का जीवन समाज के प्रति एक कटु सत्य और हमारी संवेदनाओं को झकझोरने वाला प्रतीक है। रेनू की लेखनी इस वर्ग के प्रति सहानुभूति और मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का संदेश देती है, जिससे यह कहानी एक सशक्त सामाजिक दस्तावेज बन जाती है।

  • Chapter 16 Gandhi, Nehru, aur Yasser Arafat

    भीष्म साहनी द्वारा लिखित "आज के अतीत" के अध्याय "गाँधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात" में लेखक ने महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और फिलिस्तीनी नेता यास्सेर अराफ़ात के साथ बिताए अपने जीवन के कुछ अनमोल और यादगार क्षणों का वर्णन किया है। इसमें उन्होंने इन महान नेताओं के व्यक्तित्व, उनके विचारों और उनसे मिलने के दौरान अनुभव किए गए भावनात्मक और वैचारिक प्रभावों को साझा किया है।

    इस अध्याय में भीष्म साहनी ने महात्मा गांधी के प्रति अपने गहरे आदर और श्रद्धा को उजागर किया है। गांधीजी की सादगी, अनुशासन और अहिंसा के प्रति उनकी अडिग निष्ठा ने लेखक को बहुत प्रभावित किया। साहनी बताते हैं कि गांधीजी का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि उनके आस-पास के लोग सहज ही उनकी ओर आकर्षित हो जाते थे। गांधीजी की हर छोटी-सी बात में भी उनके महान आदर्श झलकते थे, और उनके विचारों ने साहनी के सोचने-समझने के तरीके को नया आयाम दिया।

    पंडित नेहरू के साथ बिताए गए क्षणों में साहनी ने नेहरूजी की विद्वत्ता, सहृदयता और दूरदर्शिता को दर्शाया है। नेहरूजी का व्यवहार, उनके विचार, और भारत के प्रति उनका समर्पण साहनी को गहराई से प्रभावित करता है। नेहरूजी का दृष्टिकोण हमेशा प्रगतिशील और भविष्य को ध्यान में रखते हुए होता था, जिससे साहनी को भी अपने लेखन और सामाजिक दृष्टिकोण में प्रेरणा मिली।

    यास्सेर अराफ़ात से जुड़ी उनकी यादें इस अध्याय का एक विशेष हिस्सा हैं। अराफ़ात, जो फिलिस्तीनी स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे, का व्यक्तित्व साहनी के लिए साहस और संघर्ष का प्रतीक था। अराफ़ात की जुझारू और दृढ़ता भरी छवि ने साहनी को प्रभावित किया। अराफ़ात के साथ उनके पल संघर्ष और स्वतंत्रता के जज्बे को समझने और महसूस करने का मौका देते हैं।

    इस प्रकार, इस अध्याय में भीष्म साहनी ने इन तीन महान नेताओं के साथ अपने अनुभव साझा किए हैं, जो उन्हें अपने जीवन और लेखन में एक नया दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। ये नेता उनकी नजर में विभिन्न आदर्शों का प्रतीक हैं—गांधीजी अहिंसा और सत्य के, नेहरूजी आधुनिकता और राष्ट्रनिर्माण के, और अराफ़ात स्वतंत्रता के लिए संघर्ष के। इस प्रकार, यह अध्याय साहनी के विचारों और उनके दृष्टिकोण को विस्तार देता है और उनके पाठकों को इन महान नेताओं के आदर्शों के प्रति जागरूक बनाता है।

  • Chapter 17 Sher, Pahchan, Char Hath aur Sajha

    असगर वजाहत की चार लघुकथाएँ—शेर, पहचान, चार हाथ, और साझा—समानता और व्यवस्था के प्रति समाज के दृष्टिकोण को गहरे और प्रतीकात्मक तरीके से उजागर करती हैं। ये कहानियाँ सामाजिक व्यवस्था, सत्ता, पूँजीवाद और किसानों के संघर्ष पर एक तीखी नज़र डालती हैं।

    1. शेर
      यह कहानी व्यवस्था की शक्ति और उसके क्रूर चेहरे का प्रतीक है। यहाँ शेर को ऐसा अहिंसावादी और न्यायप्रिय दिखाया गया है कि सभी जानवर इसके पेट में किसी न किसी प्रलोभन में समाते चले जाते हैं। लेकिन जब लेखक खुद इसमें प्रवेश करने से मना करता है, तो शेर अपनी असली क्रूरता दिखाकर उसे दबाने के लिए झपटता है। असल में, यह सत्ता का चेहरा है जो शांत और विनम्र तब तक रहती है जब तक लोग उसकी आज्ञा मानते रहें। लेकिन जैसे ही कोई उसकी व्यवस्था पर सवाल उठाता है, वह आक्रामक हो जाती है। इस प्रतीक के माध्यम से लेखक ने सत्ता के ढोंग पर कटाक्ष किया है, जो दिखती अहिंसक है पर अंदर से क्रूरता से भरी होती है।

    2. पहचान
      पहचान में एक ऐसा राजा है जिसे वही जनता पसंद आती है जो न देखती है, न सुनती है और न बोलती है। इस प्रकार वह जनता को छद्म विकास और प्रगति के नाम पर भ्रमित रखता है। भूमंडलीकरण के दौर में राजा अपने लाभ के लिए जनता को सपनों का झांसा देता है, लेकिन असल में वह संसाधनों पर अपनी पकड़ मजबूत करता जाता है। इसी व्यवस्था में वह जनता को एकजुट होने से रोकता है और उन्हें अपनी पहचान और अधिकार से वंचित रखता है। यह कहानी बताती है कि किस प्रकार सत्ता लोगों की आज़ादी को कुचलती है और उन्हें विकास के नाम पर भटकाती है।

    3. चार हाथ
      चार हाथ में पूँजीवादी व्यवस्था का वास्तविक चित्रण है, जिसमें मज़दूरों का शोषण होता है। पूँजीपति वर्ग मजदूरों को बुरी तरह से पंगु बनाने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाता है और उन्हें अपनी अस्मिता से वंचित कर देता है। उनकी मेहनत का सही मूल्य न देकर, उन्हें कम वेतन पर काम करवाया जाता है। यह कहानी दिखाती है कि पूँजीवादी व्यवस्था में मज़दूर एक मशीनी पुर्जे की तरह हैं, जो अपने अस्तित्व की लाचारी में केवल आधी मज़दूरी पर भी काम करने को मजबूर हैं।

    4. साझा
      साझा कहानी में किसानों का शोषण दिखाया गया है, जहाँ गाँव के धनाढ्य वर्ग और उद्योगपति किसानों को धोखे में रखकर उनकी सारी फसल और मेहनत हड़प लेते हैं। साझा खेती के नाम पर, किसानों को छल से अपनी मेहनत से अर्जित धन और उपज से वंचित कर दिया जाता है। यहाँ हाथी उस प्रभुत्वशाली वर्ग का प्रतीक है, जो किसानों की मेहनत को निगल जाता है। यह कहानी किसानों की स्थिति को उजागर करते हुए स्वतंत्रता के बाद उनकी बदहाली के कारणों की पड़ताल करती है।

    असगर वजाहत की ये लघुकथाएँ हमारे समाज में विभिन्न मुद्दों को प्रभावशाली तरीके से उजागर करती हैं, जो छात्रों के लिए सोचने का एक महत्वपूर्ण पहलू बन सकती हैं। ये कहानियाँ व्यवस्था और वर्ग संघर्ष को समझने में सहायक हैं, और आपके छात्रों के लिए सराहनीय अध्याय बन सकती हैं, जो सार्थक तरीके से ज्ञान और जागरूकता प्रदान करती हैं।

  • Chapter 18 Jahan Koi Wapsi Nahi

    निर्मल वर्मा द्वारा रचित सिंगरौली: जहाँ कोई वापसी नहीं एक मार्मिक रचना है, जो हमें आधुनिक जीवन की विडंबनाओं और मानवीय संवेदनाओं के बीच के संघर्ष को दर्शाती है। इस कहानी में लेखक ने सिंगरौली नामक एक छोटे से कस्बे की पृष्ठभूमि में वहां के बदलते परिवेश, पर्यावरणीय समस्याओं, और स्थानीय जनजीवन पर प्रभाव का वर्णन किया है।

    इस रचना में लेखक ने औद्योगिकीकरण और आधुनिकीकरण के नाम पर हो रहे पर्यावरणीय विनाश को प्रमुखता से उठाया है। सिंगरौली जैसे स्थान में औद्योगिक परियोजनाओं की वजह से वहां की प्राकृतिक सुंदरता और वातावरण दूषित हो गए हैं। लेखक दर्शाता है कि कैसे विकास की इस अंधी दौड़ में वहां के मूल निवासी अपनी जड़ों से उखड़ते जा रहे हैं और कैसे उनका सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

    कहानी के माध्यम से निर्मल वर्मा ने यह प्रश्न उठाया है कि क्या विकास के नाम पर हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों और मूल निवासियों के जीवन को बर्बाद कर देना चाहिए? उन्होंने यह भी बताया कि आधुनिकता और औद्योगिकीकरण के प्रभाव से सिंगरौली जैसे छोटे कस्बों में न केवल पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ता है, बल्कि वहां के निवासियों का जीवन भी संकट में पड़ जाता है।

    इस कहानी का संदेश है कि विकास की आवश्यकता तो है, लेकिन यह विकास संतुलित और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी प्राकृतिक संसाधनों का लाभ मिल सके। सिंगरौली: जहाँ कोई वापसी नहीं पाठकों को यह सोचने पर विवश करता है कि हमें किस प्रकार का विकास चाहिए और यह किस हद तक मानवीय और नैतिक रूप से स्वीकार्य है।

  • Chapter 19 Yathasmay Rochte Vishwam

    रामविलास शर्मा द्वारा रचित यथास्मै रोचते विश्वम् तथेदं परिवर्तते में लेखक 'साहित्य समाज का दर्पण होता है' को नकारते हुए कहता है की लेखक और साहित्य का काम दर्पण दिखाना नहीं, बल्कि अपने कलम से एक नयी दुनिया का निर्माण करना होता है। इसलिए प्रजापति ब्रह्मा से भी कवि और लेखकों की तुलना की जाती है कि कैसे कवि को जो ठीक लगता है वैसे ही वो लेखनी के द्वारा संसार को बदलता है। 

    ऐसे ही कवि और लेखकों की अब समाज में कमी है और वो सिर्फ दर्पण दिखने वाले बन कर रह गए हैं न की समाज को परिवर्तित करने की कोशिश कर रहे हैं जैसा की ऋषि वाल्मीकि, भारतेन्दु हरिश्चंद्र, सूर-तुलसी-मीरा-कबीर , तेलुगु वीरेश लिंगम, तमिल तिरुवल्लुवर, वल्लतोल, चंडीदास, रविंद्रनाथ टैगोर इत्यादि ने किया था। 

  • Chapter 20 Doosra Devdas

    ममता कालिया द्वारा रचित दूसरा देवदास एक आधुनिक दृष्टिकोण से प्रेरित कहानी है जो शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की प्रसिद्ध कृति देवदास से अलग, आज के समाज के वास्तविकताओं को दर्शाती है। इस कहानी में लेखक ने पारंपरिक देवदास की प्रेम-व्यथा से हटकर एक नए तरह के देवदास को चित्रित किया है, जो बदलते समाज, रिश्तों, और व्यक्तित्व की नई परिभाषा को प्रस्तुत करता है।

    कहानी का नायक 'देवदास' नहीं बल्कि एक आधुनिक युवक है, जो अपने करियर, आर्थिक समस्याओं और सामाजिक अपेक्षाओं के बीच उलझा हुआ है। उसके जीवन में पारो और चंद्रमुखी जैसे पात्र होते हैं, लेकिन उनकी भूमिकाएँ अलग हैं और कहानी की पृष्ठभूमि भी समकालीन समाज पर आधारित है। इस देवदास के संघर्ष प्रेम की विफलता से अधिक, समाज की वास्तविकताओं, आर्थिक संघर्षों और व्यक्तिगत असुरक्षाओं से हैं।

    इस कहानी में ममता कालिया ने यह दिखाने की कोशिश की है कि कैसे समाज के दबाव और मानसिक उलझनें एक व्यक्ति को देवदास बना देती हैं। यह देवदास न तो शराब में अपनी मुक्ति खोजता है, न ही वह अपने दुखों में डूबता है। बल्कि, वह अपने अस्तित्व के प्रश्नों, समाज की चुनौतियों और व्यक्तिगत असुरक्षाओं का सामना करता है।

    कहानी यह संदेश देती है कि आज के समय में असल संघर्ष बाहरी नहीं बल्कि व्यक्ति के भीतर है, जहाँ उसे समाज की अपेक्षाओं और अपनी इच्छाओं के बीच संतुलन बनाना पड़ता है। ममता कालिया ने अपने लेखन के माध्यम से यह दिखाने की कोशिश की है कि आधुनिक समय का देवदास अपनी परिस्थितियों से हार मानकर खुद को बर्बाद नहीं करता, बल्कि वह नई दिशा खोजता है और अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ता है।

    दूसरा देवदास आज के युवाओं की चुनौतियों, संघर्षों और सामाजिक दबावों को प्रतिबिंबित करता है, और यह हमें सोचने पर विवश करता है कि सच्चे प्रेम और आत्म-सम्मान की परिभाषा क्या है।

  • Chapter 21 Kutaj

    "कुटज" एक पर्वतीय वनस्पति का नाम है, जिसका प्रयोग इस अध्याय में प्रतीकात्मक रूप में किया गया है। कुटज का वृक्ष अपने आप में जीवन के संघर्ष और विपरीत परिस्थितियों का प्रतीक है, जो कठिनाईयों के बावजूद खिलता है और अपनी सुगंध बिखेरता है। इसी प्रकार से यह अध्याय यह संदेश देता है कि जीवन में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमें अपने आत्म-सम्मान को बनाए रखना चाहिए और अपने कार्यों के माध्यम से दुनिया में अपनी पहचान बनानी चाहिए।

    हजारी प्रसाद द्विवेदी (Hazari Prasad Dwivedi) द्वारा लिखित यह अध्याय विपरीत परिस्थितियों में धैर्य, संयम और आत्म-सम्मान का महत्व दर्शाता है।