दत्ता जी राव से पिता पर दबाव डलवाने के लिए लेखक और उसकी माँ को एक झूठ का सहारा लेना पड़ा। यदि झूठ का सहारा न लेना पड़ता तो आगे का घटनाक्रम क्या होता?
दता जी राव से पिता पर दवाव डलवाने के लिए लेखक और उसकी माँ को एक झूट का सहारा लेना पड़ा था यदि झूठ का सहारा न लेते और सच बताते कि उन्होंने दता जी राव से पिता को बुलाकर लेखक को स्कूल भेजने के लिए कहा था I
‘जूझ’ शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथा नायक की किसी केंद्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता हैं।
स्वय कविता रच लेने का आत्मविश्वास लखक के मन में कैस पैदा हुआ?
आपके खयाल से पढ़ाई-लिखाई के सबध में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया सही था या लखक के पिता का2 तक सहित
कविता के प्रति लगाव से पहल और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया?
श्री सोंदलगकर के अध्यापन की उन विशषताओं को रेखांकित करें जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के मन में रुचि जगाई।
यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा क्यों?
सिंधु-सभ्यता साधन-सपन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडबर नहीं था। कैसे?
यह साठ लाख लोगों की तरफ से बोलने वाली एक आवाज हैं। एक ऐसी आवाज, जो नहीं, बल्कि एक साधारण लड़की की हैं।” इल्या इहरनबुर्ग की इस टिप्पणी के सदर्भ में पठित अशों पर विचार करें।
पाठ में ‘जो हुआ होगा ‘ वाक्य की आप कितनी अर्थ छवियाँ खोज सकते/सकती हैं?
सिंधु-सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य-बोध हैं जो राज-पोषित या धर्म-पोषित न होकर समाज-पोषित था।” ऐसा क्यों कहा गया?
‘काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गभीरता से समझ पाता। अफसोस, ऐसा व्यक्ति मुझे अब तक नहीं मिला .। ” क्या आपको लगता है कि ऐन के इस कथन में उसके डायरी-लेखन का कारण छिपा हैं?
‘समहाउ इप्रॉपर’ वाक्यांश का प्रयोग यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रारंभ में तकिया कलाम की तरह करते हैं। इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से क्या सबध बनता है?
पुरातत्व के किन चिहनों के आधार पर आप यह कह सकते हैं कि-‘सिंधु-सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी?”
‘प्रकृति-प्रदत्त प्रजनन-शक्ति के उपयोग का अधिकार बच्चे पैदा करें या न करें अथवा कितने बच्चे पैदा करें-इस की स्वतत्रता स्त्री सी छीनकर हमारी विश्व-व्यवस्था न न सिर्फ स्त्री की व्यक्तित्व-विकास के अनक अवसरों से वचित किया है बल्कि जनाधिक्य की समस्या भी पैदा की हैं।’ ऐन की डायरी के 13 जून, 1944 के अश में व्यक्त विचारों के सदर्भ में इस कथन का औचित्य ढूंढ़े।
यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशन दा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन की दिशा देने में किसका महत्वपूर्ण योगदान रहा और कैसे?
‘प्रकृति-प्रदत्त प्रजनन-शक्ति के उपयोग का अधिकार बच्चे पैदा करें या न करें अथवा कितने बच्चे पैदा करें-इस की स्वतत्रता स्त्री सी छीनकर हमारी विश्व-व्यवस्था न न सिर्फ स्त्री की व्यक्तित्व-विकास के अनक अवसरों से वचित किया है बल्कि जनाधिक्य की समस्या भी पैदा की हैं।’ ऐन की डायरी के 13 जून, 1944 के अश में व्यक्त विचारों के सदर्भ में इस कथन का औचित्य ढूंढ़े।
टूटे-फूटे खडहर, सभ्यता और सस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कती जिंदगियों के अनछुए समयों का भी दस्तावेज होते हैं।”-इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
अपने घर और विद्यालय के आस-पास हो रह उन बदलावों के बारे में लिख जो सुविधाजनक और आधुनिक होते हुए भी बुजुगों को अच्छे नहीं लगते। अच्छा न लगने के क्या कारण होंगे?
यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशन दा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन की दिशा देने में किसका महत्वपूर्ण योगदान रहा और कैसे?
यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा क्यों?
पाठ में ‘जो हुआ होगा ‘ वाक्य की आप कितनी अर्थ छवियाँ खोज सकते/सकती हैं?
‘यह सच है कि यहाँ किसी अगन की टूटी-फूटी सीढ़ियाँ अब आपको कहीं नहीं ले जातीं; वे आकाश की तरफ अधूरी रह जाती हैं। लेकिन उन अधूरे पायदानों पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर हैं, वहाँ से आप इतिहास को नहीं, उसके पार झाँक रह हैं।” इस कथन के पीछ लखक का क्या आशय हैं?
‘काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गभीरता से समझ पाता। अफसोस, ऐसा व्यक्ति मुझे अब तक नहीं मिला .। ” क्या आपको लगता है कि ऐन के इस कथन में उसके डायरी-लेखन का कारण छिपा हैं?
‘समहाउ इप्रॉपर’ वाक्यांश का प्रयोग यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रारंभ में तकिया कलाम की तरह करते हैं। इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से क्या सबध बनता है?
सिंधु-सभ्यता साधन-सपन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडबर नहीं था। कैसे?