Class 12 Hindi - Aroh - Chapter Badal Rag NCERT Solutions | व्याख्या कीजिए

Welcome to the NCERT Solutions for Class 12th Hindi - Aroh - Chapter Badal Rag. This page offers a step-by-step solution to the specific question from Exercise 1, Question 5: व्याख्या कीजिए- (क) तिरती है समीर-सा....
Question 5

व्याख्या कीजिए-

(क) तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-

(ख) अट्टालिका नहीं है रे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन,

Answer

1 कवि बादल को सबोधित करते हुए कहता है कि है क्रांति दूत रुपी बादल तुम आकाश में ऐसे घूमते रहते है जेसे पवन रुपी सागर पर नोका तेर रही हो छाया उसी प्रकार पुजीपतियो के वैभव पर क्रांति की छाया मंडरा रहती है इसलिए कहा गया है अस्थिर सुख पर दुःख की छाया अथार्त उनके सुख अस्थिर है जो कभी नष्ठ नही होता है I 

2 कवि कहते है कि पुजीपतियो के उच्चे – उच्चे भवन भवन नहीं होता है अपितु ये गरीबो को आतकित करने वाले भवन नहीं होते है इसमें रहने वाले लोग महान नही रहते है जल की विनाशलीला तो सदा पक को ही डूबोती है I

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