'भारतेंदु जी के मकान के नीचे का यह ह्दय परिचय बहुत शीघ्र गहरी मैत्री में परिणत हो गया।'- कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
एक बार लेखक पिता के कहने पर किसी की बारात में काशी चले गए है वहां घूमते हुए काशी के चोखभा स्थान पर पहुच गया था यही उनकी मुलाकात पंडित केदारनाथ जी पाठक से हुई थी वे भरतेन्दु के मित्र है लेखक स्वय भरतेन्दु के विषय में जानकार वह उनके घर को बड़ी चाह तथा कुतूहल से देख रहे है I
पाठ में कुछ रोचक घटनाओं का उल्लेख है। ऐसी तीन घटनाएँ चुनकर उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
लेखक का हिंदी-साहित्य के प्रति झुकाव किस प्रकार बढ़ता गया?
उपाध्याय बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' की पहली झलक लेखक ने किस प्रकार देखी?
'निस्संदेह' शब्द को लेकर लेखक ने किस प्रसंग का ज़िक्र किया है?
प्रस्तुत संस्मरण में लेखक ने चौधरी साहब के व्यक्तित्व के किन-किन पहलुओं को उजागर किया है?
लेखक ने अपने पिता जी की किन-किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
समवयस्क हिंदी प्रेमियों की मंडली में कौन-कौन से लेखक मुख्य थे?
"इस पुरातत्व की दृष्टि में प्रेम और कुतूहल का अद्भुत मिश्रण रहता था।" यह कथन किसके संदर्भ में कहा गया है और क्यों? स्पष्ट कीजिए।
बचपन में लेखक के मन में भारतेंदु जी के संबंध में कैसी भावना जगी रहती थी?
पाठ की शैली की रोचकता पर टिप्पणी कीजिए।
'हारेंहु खेल जितावहिं मोही' भरत के इस कथन का क्या आशय है?
अगहन मास की विशेषता बताते हुए विरहिणी (नागमती) की व्यथा-कथा का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
प्रियतमा के दुख के क्या कारण हैं?
देवी सरस्वती की उदारता का गुणगान क्यों नहीं किया जा सकता?
कवि ने 'चाहत चलन ये संदेसो ले सुजान को' क्यों कहा है?
बालक से उसकी उम्र और योग्यता से ऊपर के कौन-कौन से प्रश्न पूछे गए?
पसोवा की प्रसिद्धि का क्या कारण था और लेखक वहाँ क्यों जाना चाहता था?
संवदिया कि क्या विशेषताएँ हैं और गाँववालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा हैं?
लेखक ने कवि की तुलना प्रजापति से क्यों की है?
"मैंने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई"‐ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
'कोई छः बजे सुबह.......फिरकी सी आई, चली गई'- पंक्ति में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।
''ईमान! ऐसी कोई चीज़ मेरे पास हुई नहीं तो उसके डिगने का कोई सवाल नहीं उठता। यदि होता तो इतना बड़ा संग्रह बिना पैसा-कौड़ी के हो ही नहीं सकता।'' - के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
कवि ने आशा को बावली क्यों कहा है?
राम के प्रति अपने श्रद्धाभाव को भरत किस प्रकार प्रकट करते हैं, स्पष्ट कीजिए।
''चांद्रायण व्रत करती हुई बिल्ली के सामने एक चूहा स्वयं आ जाए तो बेचारी को अपना कर्तव्य पालन करना ही पड़ता है।''- लेखक ने यह वाक्य किस संदर्भ में कहा और क्यों?
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) बहुत दिनान को अवधि आसपास परे/खरे अरबरनि भरे हैं उठि जान को
(ख) मौन हू सौं देखिहौं कितेक पन पालिहौ जू/कूकभरी मूकता बुलाय आप बोलिहै।
(ग) तब तौ छबि पीवत जीवत हे, अब सोचन लोचन जात जरे।
(घ) सो घनआनंद जान अजान लौं टूक कियौ पर वाँचि न देख्यौ।
(ङ) तब हार पहार से लागत हे, अब बीच में आन पहार परे।
''अपना सोना खोटा तो परखवैया का कौन दोस?'' से लेखक का क्या तात्पर्य है?
मनोकामना की गाँठ भी अद्भुत अनूठी है, इधर बाँधो उधर लग जाती है।' कथन के आधार पर पारो की मनोदशा का वर्णन दीजिए।
लोकोक्तियों का संदर्भ सहित अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(क) चोर की दाढ़ी में तिनका
(ख) ना जाने केहि भेष में नारायण मिल जाएँ
(ग) चोर के घर छिछोर पैठा
(घ) यह म्याऊँ का ठौर था
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए–
'तिरपित, छन, बिदगध, निहारल, पिरित, साओन, अपजस, छिन, तोहारा, कातिक