हे ईश्वर! उसने कब सोचा था कि मनोकामना का मौन उद्गार इतनी शीघ्र शुभ परिणाम दिखाएगा-आशय स्पष्ट कीजिए।'
पारो को अपने सामने देखकर उसके मन में यह वाक्य उत्पन्न हुआ था जिस लडकी को पाने के लिए उसने कुछ देर पहले ही मनसा देवी में धागा बाधा है वह देवी के मंदिर के बाहर ही मिल गया था वह पारो को देखकर प्रसन्न हो उठा था आज उसकी मनोकामना शुभ परिणाम लेकर सामने आई है I
पाठ के आधार पर हर की पौड़ी पर होने वाली गंगाजी की आरती का भावपूर्ण वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
दूसरा देवदास' कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
मनोकामना की गाँठ भी अद्भुत अनूठी है, इधर बाँधो उधर लग जाती है।' कथन के आधार पर पारो की मनोदशा का वर्णन दीजिए।
उस छोटी-सी मुलाकात ने संभव के मन में क्या हलचल उत्पन्न कर दी? इसका सूक्ष्म विवेचन कीजिए।
पुजारी ने लड़की के 'हम' को युगल अर्थ में लेकर क्या आशीर्वाद दिया और पुजारी द्वारा आशीर्वाद देने के बाद लड़के और लड़की के व्यवहार में अटपटापन क्यों आया?
मंसा देवी जाने के लिए केबिल कार में बैठे हुए संभव के मन में जो कल्पनाएँ उठ रही थीं, उनका वर्णन कीजिए।
'पारो बुआ, पारो बुआ इनका नाम है..... उसे भी मनोकामना का पीला-लाल धागा और उसमें पड़ी गिठान का मधुर स्मरण हो आया।'' कथन के आधार पर कहानी के संकेत पूर्ण आशय पर टिप्पणी लिखिए।
(क) 'तुझे तो तैरना भी न आवे। कहीं पैर फिसल जाता तो मैं तेरी माँ को कौन मुँह दिखाती।'
(ख) 'उसके चेहरे पर इतना विभोर विनीत भाव था मानो उसने अपना सारा अहम् त्याग दिया है, उसके अंदर स्व से जनति कोई-कुंठा शेष नहीं है, वह शुद्ध रूप से चेतन स्वरूप, आत्माराम और निर्मलानंद है।'
(ग) 'एकदम अंदर के प्रकोष्ठ में चामुंडा रूप धरिणी मंसादेवी स्थापित थी। व्यापार यहाँ भी था।
'हारेंहु खेल जितावहिं मोही' भरत के इस कथन का क्या आशय है?
अगहन मास की विशेषता बताते हुए विरहिणी (नागमती) की व्यथा-कथा का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
प्रियतमा के दुख के क्या कारण हैं?
देवी सरस्वती की उदारता का गुणगान क्यों नहीं किया जा सकता?
कवि ने 'चाहत चलन ये संदेसो ले सुजान को' क्यों कहा है?
लेखक ने अपने पिता जी की किन-किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
बालक से उसकी उम्र और योग्यता से ऊपर के कौन-कौन से प्रश्न पूछे गए?
पसोवा की प्रसिद्धि का क्या कारण था और लेखक वहाँ क्यों जाना चाहता था?
संवदिया कि क्या विशेषताएँ हैं और गाँववालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा हैं?
लेखक ने कवि की तुलना प्रजापति से क्यों की है?
'आकाश बदल कर बना मही' में 'आकाश' और 'मही' शब्द किसकी ओर संकेत करते हैं?
'रंग गई क्षणभर, ढलते सूरज की आग से'- पंक्ति के आधार पर बूँद के क्षणभर रंगने की सार्थकता बताइए।
हाथ फैलाने वाले व्यक्ति को कवि ने ईमानदार क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।
सत्य और संकल्प के अंतर्संबंध पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
'महीं सकल अनरथ कर मूला' पंक्ति द्वारा भरत के विचारों-भावों का स्पष्टीकरण कीजिए।
राजा ने कौन-कौन से हुक्म निकाले? सूची बनाइए और इनके निहितार्थ लिखिए।
''मैं कहीं जाता हूँ तो 'छूँछे' हाथ नही लौटता'' से क्या तात्पर्य है? लेखक कौशांबी लौटते हुए अपने साथ क्या-क्या लाया?
कहानी में लेखक ने शेर को किस बात का प्रतीक बताया है?
संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) झूठी बतियानि की पत्यानि तें उदास है, कै ...... चाहत चलन ये संदेशो लै सुजान को।
(ख) जान घनआनंद यों मोहिं तुम्है पैज परी ....... कबहूँ तौ मेरियै पुकार कान खोलि है।
(ग) तब तौ छबि पीवत जीवत हे, .................बिललात महा दुःख दोष भरे।
(घ) ऐसो हियो हित पत्र पवित्र ..... टूक कियौ पर बाँचि न देख्यौ।
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हेम कुंभ ले उषा सवेरे-भरती ढुलकाती सुख मेरे
मदिर ऊँघते रहते सब-जगकर रजनी भर तारा।