देवी सरस्वती की उदारता का गुणगान क्यों नहीं किया जा सकता?
देवी सरस्वती सुर कला तथा ज्ञान की देवी थी इस संसार में सबके गले में वह विराजती थी इस संसार में ज्ञान का अथाह भडार उनकी ही कृपा से उत्पन्न हुआ था उनकी महता को व्यक्त करना किसी के भी वंश में नही था क्योकि उनकी महता को शब्दों का जामा पहनाकर उसे बाधा नही जा सकता था I
कविता में पंचवटी के किन गुणों का उल्लेख किया गया है?
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए।
(क) भावी भूत बर्तमान जगत बखानत है 'केसोदास' क्यों हू ना बखानी काहू पै गई।
(ख) अघओघ की बेरी कटी बिकटी निकटी प्रकटी गुरूजान-गटी।
निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(क) पति बर्नै चारमुख पूत बर्नै पंच मुख नाती बर्नै षटमुख तदपि नई-नई।
(ख) चहुँ ओरनि नाचति मुक्तिनटी गुन धूरजटी वन पंचवटी।
(ग) सिंधु तर यो उनको बनरा तुम पै धनुरेख गई न तरी।
(घ) तेलन तूलनि पूँछि जरी न जरी, जरी लंक जराई-जरी।
तीसरे छंद में संकेतित कथाएँ अपने शब्दों में लिखिए?
चारमुख, पाँचमुख और षटमुख किन्हें कहा गया है और उनका देवी सरस्वती से क्या संबंध है?
'हारेंहु खेल जितावहिं मोही' भरत के इस कथन का क्या आशय है?
अगहन मास की विशेषता बताते हुए विरहिणी (नागमती) की व्यथा-कथा का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
प्रियतमा के दुख के क्या कारण हैं?
कवि ने 'चाहत चलन ये संदेसो ले सुजान को' क्यों कहा है?
लेखक ने अपने पिता जी की किन-किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
बालक से उसकी उम्र और योग्यता से ऊपर के कौन-कौन से प्रश्न पूछे गए?
पसोवा की प्रसिद्धि का क्या कारण था और लेखक वहाँ क्यों जाना चाहता था?
संवदिया कि क्या विशेषताएँ हैं और गाँववालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा हैं?
लेखक ने कवि की तुलना प्रजापति से क्यों की है?
"मैंने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई"‐ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
लेखक का हिंदी-साहित्य के प्रति झुकाव किस प्रकार बढ़ता गया?
युधिष्ठिर जैसा संकल्प' से क्या अभिप्राय है?
निम्नलिखित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए-
(क) पिय सौं कहेहु सँदेसड़ा, ऐ भँवरा ऐ काग।
(ख) रकत ढरा माँसू गरा, हाड़ भए सब संख।
(ग) तुम्ह बिनु कंता धनि हरुई, तन तिनुवर भा डोल।
(घ) यह तन जारौं छार कै, कहौं कि पवन उड़ाउ।
घड़ी समय का ज्ञान कराती है। क्या धर्म संबंधी मान्यताएँ या विचार अपने समय का बोध नहीं कराते?
निम्नलिखित का अर्थ स्पष्ट कीजिए
(क) इक्के को ठीक कर लिया
(ख) कील काँटे से दुरस्त था।
(ग) मेरे मस्तक पर हस्बमामूल चंदन था।
(घ) सरखाब का पर
मिट्टी के ढेलों के संदर्भ में कबीर की साखी की व्याख्या कीजिए-
पत्थर पूजे हरि मिलें तो तू पूज पहार।
इससे तो चक्की भली, पीस खाय संसार।।
'धर्म का रहस्य जानना वेदशास्त्रज्ञ धर्माचार्यों का ही काम है।' आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं? धर्म संबंधी अपने विचार व्यक्त कीजिए।
"मैंने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई"‐ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उपाध्याय बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' की पहली झलक लेखक ने किस प्रकार देखी?
"बालक बच गया। उसके बचने की आशा है क्योंकि वह लड्डू की पुकार जीवित वृक्ष के हरे पत्तों का मधुर मर्मर था, मरे काठ की अलमारी की सिर दुखानेवाली खड़खड़ाहट नहीं" कथन के आधार पर बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।