निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों की पहचान कीजिए।
(क) कहि कहि आवन छबीले मनभावन को, गहि गहि राखति ही दैं दैं सनमान को।
(ख) कूक भरी मूकता बुलाए आप बोलि है।
(ग) अब न घिरत घन आनंद निदान को।
(क) प्रस्तुत पक्ति में कहि कहि , गहि गहि तथा दे दे शब्दों की उसी रूप में दोबारा आवर्ति पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार की और सकेत करती थी इस पक्ति में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार की छटा बिखरी हुई थी I
(ख) प्रस्तुत पक्ति में कवि ने अपनी चुप्पी को कोयल की कुक के समान बताया था इसके माध्यम से कवि अपनी प्रेमिका पर कटाक्ष करता था उसके अनुसार वह कुछ नही करता था फिर भी वह उसके कारण चली आती थी हम यह जानते थे कि चुप्पी कोई सुन नही सकता था I
(ग) प्रस्तुत पक्ति में घन आनद शब्द में दो अर्थ चिपके हुए थे इसमें एक का अर्थ प्रसन्नता था तो दूसरे का अर्थ घनानंद के नाम से था इसके साथ ही घ शब्द की दो बार आवर्ति के कारण अनुप्रास अलंकार था I
संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) झूठी बतियानि की पत्यानि तें उदास है, कै ...... चाहत चलन ये संदेशो लै सुजान को।
(ख) जान घनआनंद यों मोहिं तुम्है पैज परी ....... कबहूँ तौ मेरियै पुकार कान खोलि है।
(ग) तब तौ छबि पीवत जीवत हे, .................बिललात महा दुःख दोष भरे।
(घ) ऐसो हियो हित पत्र पवित्र ..... टूक कियौ पर बाँचि न देख्यौ।
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) बहुत दिनान को अवधि आसपास परे/खरे अरबरनि भरे हैं उठि जान को
(ख) मौन हू सौं देखिहौं कितेक पन पालिहौ जू/कूकभरी मूकता बुलाय आप बोलिहै।
(ग) तब तौ छबि पीवत जीवत हे, अब सोचन लोचन जात जरे।
(घ) सो घनआनंद जान अजान लौं टूक कियौ पर वाँचि न देख्यौ।
(ङ) तब हार पहार से लागत हे, अब बीच में आन पहार परे।
घनानंद की रचनाओं की भाषिक विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
कवि ने 'चाहत चलन ये संदेसो ले सुजान को' क्यों कहा है?
कवि मौन होकर प्रेमिका के कौन से प्रण पालन को देखना चाहता है?
प्रथम सवैये के आधार पर बताइए कि प्राण पहले कैसे पल रहे थे और अब क्यों दुखी हैं?
कवि ने किस प्रकार की पुकार से 'कान खोलि है' की बात कही है?
'हारेंहु खेल जितावहिं मोही' भरत के इस कथन का क्या आशय है?
अगहन मास की विशेषता बताते हुए विरहिणी (नागमती) की व्यथा-कथा का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
प्रियतमा के दुख के क्या कारण हैं?
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लेखक ने अपने पिता जी की किन-किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
बालक से उसकी उम्र और योग्यता से ऊपर के कौन-कौन से प्रश्न पूछे गए?
पसोवा की प्रसिद्धि का क्या कारण था और लेखक वहाँ क्यों जाना चाहता था?
संवदिया कि क्या विशेषताएँ हैं और गाँववालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा हैं?
लेखक ने कवि की तुलना प्रजापति से क्यों की है?
"मैंने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई"‐ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
धीरे-धीरे होने की सामूहिक लय में क्या-क्या बँधा है?
बनारस की पूर्णता और रिक्तता को कवि ने किस प्रकार दिखाया है ?
'मैं स्वीकार करूँ, मैंने पहली बार जाना हिमालय किधर है'- प्रस्तुत पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।
माघ महीने में विरहिणी को क्या अनुभूति होती है?
वैदिककाल में हिंदुओं में कैसी लौटरी चलती थी जिसका ज़िक्र लेखक ने किया है।
बनारस में धीरे-धीरे क्या होता है? 'धीरे-धीरे' से कवि इस शहर के बारे में क्या कहना चाहता है?
कविता में बार-बार प्रयुक्त 'हम' कौन है और उसकी चिंता क्या है?
प्रकृति के कारण विस्थापन और औद्योगीकरण के कारण विस्थापन में क्या अंतर है?
सत्य और संकल्प के अंतर्संबंध पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
'यह दीप अकेला' एक प्रयोगवादी कविता है। इस कविता के आधार पर 'लघु मानव' के अस्तित्व और महत्व पर प्रकाश डालिए।