गंगापुत्र वे कहलाते थे जो गंगा मैया को अर्पण किये गए पेसे को गंगाजी की धाराओं क्र बीच लेकर आते थे लोग गंगा नदी पर पेंसे डालते थे गंगापुत्र उन पेसो को गंगा जी के बहते जल से बाहर निकलते थे यह कार्य बहुत जोखिम भरा होता था गंगा का जल प्रवाह कब इंसान को निगल जाता कहा नही जा सकता था इस काम में जितना जोखिम होता था उतना कमाई नही होती थी I
पाठ के आधार पर हर की पौड़ी पर होने वाली गंगाजी की आरती का भावपूर्ण वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
दूसरा देवदास' कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
मनोकामना की गाँठ भी अद्भुत अनूठी है, इधर बाँधो उधर लग जाती है।' कथन के आधार पर पारो की मनोदशा का वर्णन दीजिए।
पुजारी ने लड़की के 'हम' को युगल अर्थ में लेकर क्या आशीर्वाद दिया और पुजारी द्वारा आशीर्वाद देने के बाद लड़के और लड़की के व्यवहार में अटपटापन क्यों आया?
उस छोटी-सी मुलाकात ने संभव के मन में क्या हलचल उत्पन्न कर दी? इसका सूक्ष्म विवेचन कीजिए।
मंसा देवी जाने के लिए केबिल कार में बैठे हुए संभव के मन में जो कल्पनाएँ उठ रही थीं, उनका वर्णन कीजिए।
'पारो बुआ, पारो बुआ इनका नाम है..... उसे भी मनोकामना का पीला-लाल धागा और उसमें पड़ी गिठान का मधुर स्मरण हो आया।'' कथन के आधार पर कहानी के संकेत पूर्ण आशय पर टिप्पणी लिखिए।
हे ईश्वर! उसने कब सोचा था कि मनोकामना का मौन उद्गार इतनी शीघ्र शुभ परिणाम दिखाएगा-आशय स्पष्ट कीजिए।'
(क) 'तुझे तो तैरना भी न आवे। कहीं पैर फिसल जाता तो मैं तेरी माँ को कौन मुँह दिखाती।'
(ख) 'उसके चेहरे पर इतना विभोर विनीत भाव था मानो उसने अपना सारा अहम् त्याग दिया है, उसके अंदर स्व से जनति कोई-कुंठा शेष नहीं है, वह शुद्ध रूप से चेतन स्वरूप, आत्माराम और निर्मलानंद है।'
(ग) 'एकदम अंदर के प्रकोष्ठ में चामुंडा रूप धरिणी मंसादेवी स्थापित थी। व्यापार यहाँ भी था।
'हारेंहु खेल जितावहिं मोही' भरत के इस कथन का क्या आशय है?
अगहन मास की विशेषता बताते हुए विरहिणी (नागमती) की व्यथा-कथा का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
प्रियतमा के दुख के क्या कारण हैं?
देवी सरस्वती की उदारता का गुणगान क्यों नहीं किया जा सकता?
कवि ने 'चाहत चलन ये संदेसो ले सुजान को' क्यों कहा है?
लेखक ने अपने पिता जी की किन-किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
बालक से उसकी उम्र और योग्यता से ऊपर के कौन-कौन से प्रश्न पूछे गए?
पसोवा की प्रसिद्धि का क्या कारण था और लेखक वहाँ क्यों जाना चाहता था?
संवदिया कि क्या विशेषताएँ हैं और गाँववालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा हैं?
लेखक ने कवि की तुलना प्रजापति से क्यों की है?
शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) 'यह धीरे-धीरे होना ............. समूचे शहर को'
(ख) 'अगर ध्यान से देखो .............. और आधा नहीं है'
(ग) 'अपनी एक टाँग पर ................ बेखबर'
साहित्यकार के लिए स्रष्टा और द्रष्टा होना अत्यंत अनिवार्य है, क्यों और कैसे?
'सई साँझ' में घुसने पर बनारस की किन-किन विशेषताओं का पता चलता है?
'आकाश बदल कर बना मही' में 'आकाश' और 'मही' शब्द किसकी ओर संकेत करते हैं?
कवि ने आशा को बावली क्यों कहा है?
भरत का आत्म परिताप उनके चरित्र के किस उज्जवल पक्ष की ओर संकेत करता है?
(क) 'कवि की यह सृष्टि निराधार नहीं होती। हम उसमें अपनी ज्यों-की-त्यों आकृति भले ही न देखें, पर ऐसी आकृति ज़रूर देखते हैं जैसी हमें प्रिय है, जैसी आकृति हम बनाना चाहते हैं।'
(ख) 'प्रजापति-कवि गंभीर यथार्थवादी होता है, ऐसा यथार्थवादी जिसके पाँव वर्तमान की धरती पर हैं और आँखें भविष्य के क्षितिज पर लगी हुई हैं।'
(ग) 'इसके सामने निरुद्देश्य कला, विकृति काम-वासनाएँ, अहंकार और व्यक्तिवाद, निराशा और पराजय के 'सिद्धांत' वैसे ही नहीं ठहरते जैसे सूर्य के सामने अंधकार।'
रोगी बालक के प्रति गाँधी जी का व्यवहार किस प्रकार का था?
'जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा'- पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
'साहित्य थके हुए मनुष्य के लिए विश्रांति ही नहीं है। वह उसे आगे बढ़ने के लिए उत्साहित भी करता है।'' स्पष्ट कीजिए।