Class 12 Hindi - Antra - Chapter Barahmasa NCERT Solutions | निम्नलिखित पंक

Welcome to the NCERT Solutions for Class 12th Hindi - Antra - Chapter Barahmasa. This page offers a step-by-step solution to the specific question from Exercise 1, Question 5: nimnalikhit panktiyon kee vyaakhya keejie....
Question 5

निम्नलिखित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए-

(क) पिय सौं कहेहु सँदेसड़ा, ऐ भँवरा ऐ काग।

सो धनि बिरहें जरि मुई, तेहिक धुआँ हम लाग।


(ख) रकत ढरा माँसू गरा, हाड़ भए सब संख।

धिन सारस होई ररि मुई, आइ समेटहु पंख।


(ग) तुम्ह बिनु कंता धनि हरुई, तन तिनुवर भा डोल।

तेहि पर बिरह जराई कै, चहै उड़ावा झोल।।


(घ) यह तन जारौं छार कै, कहौं कि पवन उड़ाउ।

मकु तेहि मारग होई परौं, कंत धरैं जहँ पाउ।।

Answer

(क) दुखी नागमती भोरो तथा कोए से अपने प्रियतम के पास संदेशा ले जाने को कहती थी उसके अमुसार वे उसके विरह का हाल शीघ्र ही जाकर उसके प्रियतम को बता थे है प्रियतम के विरह में नागमती कितने गहन दुःख भोग रही थी इसका पता प्रियतम को अवश्य लगा था वह उन्हें सबोधित करते हुए कहते थे कि तुम दोनों वहा जाकर प्रियतम को अवश्य लगा था I

(ख) प्रस्तुत पक्तियो में नागमती अपने प्रियतम तुमसे अलग होने पर मेरी दशा बहुत ही खराब हो गई थी में तुम्हारे वियोग में इतना रोई थी कि मेरी आँखों से आँसू रूप में सारा रक्त बाहर निकल गया था इसी तरह तडपते हुए मेरा सारा माँस भी गल गया था और मेरी हड्डिया शख के जेसे श्रेव्त दिखाई दे रही थी I

(ग) प्रस्तुत पक्तियों में नागमती कहती थी कि है प्रियतम में तुम्हारे वियोग से सूखती जा रही थी मेरी स्थिति तिनके के समान हो गई थी में कमजोर हो गई थी में इतनी दुर्बल हो गई थी इसी प्रकार में कमजोर होने के कारण हिल जाता था इस पर भी यह विरहग्नि मुझे राख बनाने को व्यग था I

(घ) नागमती अपने मन के दुःख व्यक्त करते हुए कहती थे कि में स्वय के तन को विरहग्नि में जलाकर भस्म कर देना चाहती थी इसी तरह मेरा शरीर को उड़कर मेरे प्रियतम के रस्ते में बिखेर देती थी I

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