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Q1 1. चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?
2. चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?
3. आनेवाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने देगा?
4. कौन-सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा?
5. पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?
6. कौन-से लोग धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे हैं?
6.
Ans: 1. आज के इस समाज में कुछ चलते पुरजे लोग अपने नेर्तव और बडप्पन को कायम रखने के लिए समाज के कुछ अनपढ़ व मूर्ख लोगो के उत्साह व शक्ति का धर्म और ईमान के नाम पर गलत उपयोग कर रहे थे I
2. इस देश के कुछ चंद चालाक लोगो ने आम आदमी के दिल में यह बात अच्छी तरह बेठा दी थी कि अपने धर्म व ईमान की रक्षा के ;लिए अपने प्राण तक दे देने के लिए तैयार रहता था I
3. आने वाला समय ऐसे धर्म को नही टिकने देगा जो आपस में एक दूसरे को लड़ाकर अपनी स्वार्थ सिद्ध करने में लगा रहे थे I
4. किसी के धर्म की निंदा करना या उनके धार्मिक कार्यो में टाँग अडाना और एक दूसरे को धर्म के नाम पर लड़ाना था I
5. पाश्चात्य देशो में धनी लोगो गरीब मजदूरो की कमाई ही पड़ते जाते थे और वह उसी के बल से हमेशा ऐसा करते थे कि गरीबो सदा गरीब ही रखा
जाता था I6. ऐसे लोग उन धार्मिक लोगो से ज्यादा अच्छे जो दिन रात अपने अपने आराध्य की पूजा करते थे और एक दूसरे को लडाते थे I
Q2 1. धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है?
2. ‘बुधि पर मार’ के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?
3. लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?
4. महात्मा गांधी के धर्म-संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
5. सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?
Ans: 1. आज देश में धर्म और ईमान के नाम पर होने वाले व्यापार को रोकने के लिए सभी को धर्म से ऊपर उठकर देश के बारे में सोचना था और इन लोगो को कडा जवाब देना ही था I
2. बुधि पर मार के सबंध में लेखक का यह मानना था कि कुछ अपने आप को मसीहा समझने वाले लोग भोली भाली जनता को धर्म के नाम पर डराकर कब्जा करके अपने व्यापार बढ़ाते थे I
3. लेखक के अनुसार धर्म की उपासना के मार्ग में कोई भी रुकावट न होती जिसका मन जिस प्रकार चाहे उसी प्रकार धर्म की भावना को अपने मन में जगावे थे I
4. महात्मा गांधी धर्म को सवत्र स्थान देते थे वे एक पग भी धर्म के बिना चलने के लिए तैयार नही था परन्तु उनकी बात ले उड़ने से पहले प्रत्येक आदमी का कर्तव्य यह था कि वह भली भांति समझ लेता था I5. सबके कल्याण की द्रष्टि से आपका पूजा पाठ नही देखा जाता था आपकी भलमनसाहत की कसोटी केवल आपका आचरण होता था आपको अपने आचरण को सुधारना पड़ता था I
Q3 1. उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।
2. यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिधि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।
3. अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी।
4. तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो!
Ans: 1. लेखक के अनुसार साधारण और अपनी सोच न रखने वाले व्यक्ति को अच्छे बुरे की पहचान ही नही होती थी वी तो अपने मार्गदर्शक को ही अपना सबकुछ मानता था उसके खे अनुसार ही कार्य करता था I
2. समाज में अपने आप को धर्म को ठेकेदार मानने वाले लोग साधारण जनता को ईश्वरके नाम पर डराते थी फिर अपने आप को ही ईश्वर का प्रतिनिधि बताते हुए है अपने अनुसार
उनसे कर्म करवाते थे I
3. लेखक के अनुसार चालाक लोगो की चालाकी अब ज्यादा दिन तक नही चलेगी थी धर्म के नाम पर अब लोगो को गुमराह नही किया जा सकता था I4. लेखक के अनुसार अब तो ईश्वर भी लोगो की चालाकी को समझते हुए उनसे कहता था कि तुम भले ही मुझे न मानो पर मेरे नाम पर गंदा व्यापार मत करो मेने तुम्हे मनुष्य बनाकर धरती पर भेजा था I