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Q1 चूल्हा ठंडा किया होता तो,दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा होता ?नायकराम के इस कथन में निहित भाव को स्पष्ट कीजिए ।
Ans: यह कथन में निहित भाव इस प्रकार था कि सूरदास के जल रहे घर से उसके शत्रुओ को प्रसन्नता हो रही थी जगधर के पूछने पर की आज चूल्हा ठंडा नही किया है इसके उत्तर में नायकराम ने यह उत्तर दिया है कि चूल्हा ठंडा किया था तो दुश्मनों का कलेजा केसा ठंडा होता था IQ2 भौरों ने सूरदास की झोपड़ी क्यों जलाई ?
Ans: भेरो सूरदास से बहुत नाराज है जब भेरो तथा उसकी पत्नी के बीच में लड़ाई हुई है तो नाराज सुभागी सूरदास के घर रहने चली गई भेरो को यह बात अच्छी नही लगी थी सूरदास हताश सुभागी को बेसहरा नही करना है अंत वह उसे मना नही कर पाया था और उसे अपने घर में रहने दिया था भेरो के लिए यह बात असहनीय है भेरो को सूरदास का यह करना अपमान लगा था I
Q3 यह फूस की राख न थी उसकी अभिलाषाओं की राख थी।संदर्भ सहहत विवेचना कीजिए।
Ans: सूरदास एक अँधा भिखारी है उसकी सपति में एक झोपड़ी जमीन का छोटा सा टुकड़ा और जीवनभर जमा की गई पूँजी है यही सब उसके जीवन के आधार है जीवन उसके किसी काम की नही है उस पर सारे गाँव के जानवर चरा करते है सूरदास उसी में प्रसन्न है झोपडी जल गई पर वह दोबारा भी बनाई जा सकती है लेकिन उस आग में उसकी जीवनभर की जमापूंजी जलकर राख हो गई है I
Q4 जगधर के मन में ककस तरह का ईष्याभ-भाव जगा और क्यों?
Ans: जगधर जब भेरो के घर यह पता करने पंहुचा कि सूरदास के घर आग किसने लगवाई थी तो उसे पता लगा कि भेरो ने ही सूरदास के घर आग लगवाई है इसके साथ ही उसने सूरदास की पूरे जीवन की जमापूँजी भी हथिया ली थी यह राशि पाँच सो रुपए से अधिक की है जगधर को भेरो के पास इतना रुपया देखकर अच्छा न लगा था वह जानता है कि यह इतना रुपया था जिससे भेरो की जिंदगी की सारी कठिनाई पलभर में दूर हो सकती थी I
Q5 सूरदास जगधर से अपनी आर्थिक हानि को गुप्त क्यों रखना चाहता था ?
Ans: सूरदास एक अँधा भिखारी है वह लोगो के दान पर ही जीता है एक अँधे भिखारी के पास इतना धन होता था लोगो के लिए हेरानी की बात हो सकती है इस धन के पता चलने पर लोग उस पर संदेह कर सकते है कि उसके पास इतना धन कहा से आता था वह जानता है कि एक भिखारी को धन जोड़कर रखना सुहाता नही था उसके पास इतना धन कहा से आया था वह जानता है कि एक भिखारी को धन जोड़कर रखना सुहाता नही था लोग उसके प्रति तरह तरह की बात कर सकते थे I
Q6 ' सूरदास उठ खड़ा हुआ और विजय - गर्व की तरंग में राख के ढेर को दोनों हाथों से उड़ाने लगा । ' इस कथन के संदर्भ में सूरदास की मनोदशा का वर्णन कीजिए ।
Ans: सूरदास अपने रुपए की चोरी की बात से दुखी हो चुका है उसे लगा की उसके जीवन में अब कुछ शेष नही बचा था उसके मन में परेशानी दुःख ग्लानी तथा नेराश्य के भाव उसे नहला रहे है अचानक घीसू द्वारा मिठुआ को यह कहते हुए सुना कि खेल में रोते थे इन कथनों की सूरदास की मनोदशा पर चमत्कारी परिवर्तन कर दिया था दुखी और निराश सूरदास जेसी जी उठा रहे थे उसे अहसास हुआ था कि जीवन सघर्ष का नाम था इसमें हार जीत लगी रहती है इंसान को चोट तथा धक्को से डरना नही था बल्कि जीवन सघर्ष का डटकर सामना करना था I
Q7 तो हम सौ लाख बार बनाएँगे । ‘ इस कथन के संदर्भ में सूरदास के चरित्र का विवेचन कीजिए ।
Ans: (1) दृढ निश्चयी – वह एक दृढ निश्चयी व्यक्ति है रुपए के जल जाने की बात ने उसे कुछ समय के लिए दुखी था तो किया परन्तु बच्चो की बातो ने जेसे उसे दोबारा खड़ा कर दिया था उसे अहसास हुआ कि परिश्रमी मनुष्य दोबारा खड़ा हो सकता था I
(2) परिश्रमी – वह भाग्य के भरोसे रहने वाला नही है उसे स्वय पर विश्वास है अंत वह उठ खड़ा हुआ था और परिश्रम करने के लिए तत्पर हो गया था I
(3) बहादुर – सूरदास बेशक शाररिक रूप से अपंग है परन्तु वह डरपोक नही है मुसीबतों से सामना करना जानता है इतने कठिन समय में भी वह स्वय को बिना किसी सहारे के तुरत सभाल सकता था I