यह दीप अकेला - Yah Deep Akela Question Answers: NCERT Class 12 Hindi - Antra

Welcome to SaralStudy's NCERT Solutions for Class 12 Hindi - Antra Chapter Solutions - यह दीप अकेला. Here, you will find detailed and accurate solutions for the chapter 3 यह दीप अकेला (Yah Deep Akela), written by सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय (Sachchidaanand Heeraanand Vaatsayaayan Agyey).

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Exercise 1 ( Page No. : 18 )

Exercise 2 ( Page No. : 19 )

  • Q1

    'सागर' और 'बूँद' से कवि का क्या आशय है?

    Ans:

    सागर से कवि का आशय समाज से थे तथा बूंद का आशय एक मनुष्य से थी अनगिनत बूंदों के कारण सागर का निर्माण होता था यहाँ सागर समाज थे और बूंद एक मनुष्य थे मनुष्य इस समाज में ढ़क्स्र अस्तित्व पाता था और समाज उसे अपनी देख रेख में एक सभ्य मनुष्य बनाता था I


    Q2

    'रंग गई क्षणभर, ढलते सूरज की आग से'- पंक्ति के आधार पर बूँद के क्षणभर रंगने की सार्थकता बताइए।

    Ans:

    पानी की बूंद समुद्र से उपर छलांग मारती थी वह श्रणभर के लिए समुद्र से अलग हो जाती थी उस समय उस पर अस्त होते थे सूर्य की किरणे पडती थी उसके कारण वह सोने के रंग में श्रणभर के लिए चमकती रहती थी I


    Q3

    'सूने विराट के सम्मुख...............दाग से!'- पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

    Ans:

    इस संसार में हर वस्तु नश्र्वर था तात्पर्य कि हर वस्तु को एक दिन समाप्त हो जाना था इस के डर से मनुष्य भयभीत रहता था मगर जब बूंद सागर से श्रणभर के लिए अलग होती थी तो उसे नष्ट होने का डर समाप्त हो जाता था यह वह श्रण होता था जब वह स्वय के जीवन को या अस्तित्व को सार्थक कर देती थी मधुर मिलने से प्राप्त प्रकाश इस कलक को धो डालता था कि मनुष्य जीवन भी एक दिन समाप्त हो जाता था I


    Q4

    क्षण के महत्व' को उजागर करते हुए कविता का मूल भाव लिखिए।

    Ans:

    यह कविता मनुष्य श्रण का महत्त्व बताती थी कवि चाहता था कि मनुष्य द्वारा स्वार्थहित से स्वय को हटाकर व्यष्टि का समष्टि में विलय कर देना था इस संसार में विधमान प्रत्येक व्यक्ति दुखी था अत हमे चाहिए कि मिलकर लोगो के दुखों को दूर करने का प्रयास करता था इसी तरह एक बूंद सागर से अलग होकर श्रण भर में सूर्य के प्रकाश से चमक उठती थी I


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