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Q1 बनारस में वसंत का आगमन कैसे होता है और उसका क्या प्रभाव इस शहर पर पड़ता है?
Ans: कवि के अनुसार अचानक बनारस में वसंत का आगमन होता था मुहल्लों के हर स्थानों पर धूल का बवडर बनने लगता था इस कारण चारो और धूल छा जाती थी और लोगो के मुह में धूल के होए से किरकिराहट उत्पन्न होने लगती थी प्राय वसंत में फूलो की बहार छा जाती थी यहा तक इस मोसम में बंदरो की आँखों में नमी दिखाई देती थी I
Q2 'खाली कटोरों में वसंत का उतरना' से क्या आशय है?
Ans: खाली कटोरों में वसंत का उतरना का आशय था कि भिखारी भिक्षा को भीख मिलने लगी थी इससे पहले घाटों में भिखारी भिक्षा की उम्मीद पर आँखे बिछाए बैठे हुए है लेकिन उनके भिक्षापात्र खाली ही है अचानक घाट पर भीड़ बढने लगी थी और लोग उन्हें भिक्षा दे रहे थे I
Q3 बनारस की पूर्णता और रिक्तता को कवि ने किस प्रकार दिखाया है ?
Ans: कवि बनारस की पूर्णता को उसके उल्लास भरे दिन से दर्शाता था उसके अनुसार यह शहर हर तरह से प्रसन्न रहता था यहाँ का हर दिन तकलीफों तथा कठिनाइयो के बाद भी उल्लास और आनद से भरपूर होता था बनारस की रिक्ता को वह मृत शरीरो के माध्यम से दर्शाता था I
Q4 बनारस में धीरे-धीरे क्या होता है? 'धीरे-धीरे' से कवि इस शहर के बारे में क्या कहना चाहता है?
Ans: कवि के अनुसार बनारस शहर में धूल धीरे धीरे उडती थी यहाँ लोग धीरे धीरे चलते थे धीरे धीरे ही यहाँ मंदिरों में घटे बजते थे तथा शाम भी यहाँ धीरे धीरे होती थी कवि के अनुसार यहाँ सभी कार्य धीरे धीरे धीरे होना इस शहर की विशेषता थी यह शहर को सामूहिक लय प्रदान करता था धीरे धीरे शब्दों द्वारा कवि बनारस में हो रहे बदलावों को दर्शाता था उसके अनुसार सारी दुनिया में तेज़ी से बदलाव हो रहे थे I
Q5 धीरे-धीरे होने की सामूहिक लय में क्या-क्या बँधा है?
Ans: धीरे धीरे की इस सामूहिक लय में पूरा बनारस बधा हुआ था यह लय इस शहर को मजबूती प्रदान करती थी धीरे धीरे की सामूहिक लय में यहाँ बदलाव नही हुए थे और चीज़े प्राचीनकाल से जहां विधमान है गंगा के घाटों पर बंधी नाव आज भी बधी रहती थी जहां सदियों से बंधी चली आ रही थी I
Q6 'सई साँझ' में घुसने पर बनारस की किन-किन विशेषताओं का पता चलता है?
Ans: कवि के अनुसार सई-साँझ के समय यदि कोई बनारस शहर में जाता था तो उसे निम्नलिखित विशेषताओं का पता चलता था
–(1) यहाँ मंदिरों में हो रही आरती के कारण सारा वातावरण आलोकित हो जाता था I
(2) आरती के आलोक में बनारस शहर की सुंदरता अतुलनीय हो जाती थी यह कभी आधा जल में या आधा जल के ऊपर सा जान पड़ता था I
(3) यहाँ प्राचीनता तथा आधुनिकता का सुंदर रूप दिखाई देता था अथार्त जहां एक और यहाँ प्राचीन मान्यताए जीवित थी I
(4) गंगा के घाटो में कही पूजा का शोर था कही शवो का दाहसंस्कार होता था जो हमे जीवन के कडवे सत्य के दर्शन कराता था IQ7 बनारस शहर के लिए जो मानवीय क्रियाएँ इस कविता में आई हैं, उनका व्यंजनार्थ स्पष्ट कीजिए।
Ans: बनारस शहर के लिए दो जगह मानवीय कियाए अभिलिक्षित हुई थी वे इस प्रकार थी –
- इस महान और पुराने शहर की जीभ किरकिराने लगती थी – इसमें व्यजनार्थ थी कि बनारस में धूल भरी आँधी चलने से इस शहर के गली मोहल्लो में धूल ही धूल नजर आ रही थी जिसके कारण पूरा शहर धूल से अट गया था I- अपनी एक टांग पर खड़ा था यह शहर अपनी दूसरी टांग से बिल्कुल बेखबर !- इसमें व्यजंनार्थ था कि बनारस आध्यात्मिकता में इतना रत था कि उसे हो रहे बदलावों के विषयों में ज्ञान ही नही था I
Q8 शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) 'यह धीरे-धीरे होना ............. समूचे शहर को'
(ख) 'अगर ध्यान से देखो .............. और आधा नहीं है'
(ग) 'अपनी एक टाँग पर ................ बेखबर'Ans: (क) धीरे धीरे होना में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकर थे इसके माध्यम से कवि ने बनारस में हो रहे बदलावों की गति को व्यक्त किया था धीरेपन को बनारस की विशेषता बताया गया था I
(ख) इन पक्तियों के माध्यम से कवि ने बनारस पूर्ण नही दिखाई देता था वह आधा बोलकर इस अधूरेपन को व्यक्त करता था I
(ग) प्रस्तुत पक्तियों में कवि बनारस की आध्यात्मिकता का परिचय देता था वह बस आध्यात्मिकता के रंग में रंगा हुआ था और दूसरे पक्ष से बिल्कुल अनजान थे I