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Q1 कहानी के उस प्रसंग का उल्लेख करें, जिसमें किताबों की विद्या और घन चलाने की विद्या का जिक्र आया है?
Ans: एक दिन जब धनराम तेरह का पहाडा नहीं सुना पाया था तब मास्टर त्रिलोक सिंह ने अपनी जवान की चाबुक का उपयोग करते हुए कहा कि उसके दिमाग में लोहा भरा होता है वहां विदया का ताप लगाने का सामर्थ्य नहीं है I
Q2 धनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी क्यों नहीं समझता था?
Ans: बचपन में ही नीची जाति के धनराम के मन में यह बात बेठा दी गई है कि उच्ची जाति वाले उनके प्रतिद्द्वी नहीं था दुसरे कक्षा में मोहन सबसे बुदिमान बालक पुरे विद्यालय का मोनिटर था I
Q3 धनराम को मोहन के किस व्यवहार पर आश्चर्य होता है और क्यों?
Ans: धनराम को मोहन के हथोडा चलाने और लोहे की छड को सटीक गोलाई देने की बात पर आश्चर्य तो होता था धनराम उसकी कार्य कुशलता को देखकर इतना आश्चर्य चकित नहीं होता था I
Q4 मोहन के लखनऊ आने के बाद के समय को लेखक ने उसके जीवन का एक नया अध्याय क्यों कहा है?
Ans: मोहन के लाख्ननऊ आने के बाद के समय को नया अध्याय इसलिए कहा जाता था क्योकि गाव के परिवेश से निकलकर उसे शहरी परिवेश का ज्ञान था शहर में आकर उसकी आगे की पढाई करने से निकलकर उसे शहरी परिवेश का ज्ञान था I शहर में आकर उसकी आगे की पढाई करने का अधूरा मोका मिला यदि वह गाव में रहता था I
Q5 मास्टर त्रिलोक सिंह के किस कथन को लेखक ने ज़बान के चाबुक कहा है और क्यों ?
Ans: धनराम द्वारा तेरह का पहाडा न याद कर पाने पर मास्टर त्रिलोक सिंह द्वारा कहे गए व्यग वचन कि उसके दिमाग में टो लोहा ही भरा था लेखक ने जबान की चाबुक कहा था लेखक के कहने का तात्पर्य यह था कि शारीरिक चोट इतनी तकलीफदेह नहीं होती थी I
Q6 (1) बिरादरी का यही सहारा होता है। (क) किसने किससे कहा?
(ख) किस प्रसंग में कहा?
(ग) किस आशय से कहा?
(घ) क्या कहानी में यह आशय स्पष्ट हुआ है?(2) उसकी आँखों में एक सर्जक की चमक थी- कहानी का यह वाक्य (क) किसके लिए कहा गया है?
(ख) किस प्रसंग में कहा गया है?
(ग) यह पात्र-विशेष के किन चारित्रिक पहलुओं को उजागर करता है?Ans: 1. उपयुक्त वाक्य पंडित वशीधर ने अपने बिरादरी के युवक रमेश से कहे I
2. जब वशीधर अपने बेटे की आगे की पढाई के लिए चितित होते है उस समय रमेश ने उनसे सहानभूति प्रकट की थी और अपने बेटे को आगे की पढाई के लिए लखनऊ ले जाने की बात बोली थी I
3. वशीधर ने वाक्य रमेश के प्रति कृतज्ञता के भाव के आशय से कहते है वशीधर के कहने का यह आशय है कि जाति बिरादरी का यह लाभ था I 4. इस कहानी से वशीधर का आशय बिलकुल भी सिद्र नहीं था वाशीधर ने अपने बेटे को जिस आशा से रमेश के साथ भेजा है वह पूरा न हो सका था I
2. 1. उपयुक्त वाक्य मोहन के लिए कहा था I
2. जब मोहन ने भट्टी में बैठकर लोहे की मोती छढ़ को गोलाई में ढालकर सुड़ोल बना था है तब उसकी आँखों में सृजक की चमक है I
3. यह मोहन कि वह जाति को व्यवसाय से नहीं जोड़ता था अपने मित्र की मदद कर वह उदारता का भी परिचय देता था I