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Q1 'हँसी की चोट' सवैये में कवि ने किन पंच तत्त्वों का वर्णन किया है तथा वियोग में वे किस प्रकार विदा होते हैं?
Ans: हँसी की चोट सवैये ने कवि ने वायु , जल , अग्नि , आकाश और पृथ्वी आदि पांच तत्वों का वर्णन किया था कृष्ण वियोग में गोपियों से ये सभी तत्व विदा हो जाते थे जब गोपिया कृष्ण के दूर हो जाने के कारण रोटी थी तो आसुओ के द्वारा उनका जल तत्व विदा हो जाते थे जब गोपिया कृष्ण के दूर हो जाने के कारण रोटी थी तो आसुओ के द्वारा उनका जल तत्व दूर हो जाता था जब वे तेज़ गति से साँस लेती थी तो उनका वायु तत्व विदा हो जाता था I
Q2 'हँसी की चोट' सवैये की अंतिम पंक्ति में यमक और अनुप्रास का प्रयोग करके कवि क्या मर्म अभिव्यंजित करना चाहता है?
Ans: अपने अध्यापक से सलाह करके उत्तर दे I
Q3 नायिका सपने में क्यों प्रसन्न थी और वह सपना कैसे टूट गया?
Ans: नायिका शो रही होती थी तभी वह एक सपना देखती थी की आकाश में बादलो से हल्की हल्की बूदे गिर रही थी वहां पर अचानक कृष्ण आते थे और उससे झूला झूलने के लिए कहते थे नायिका कृष्ण को देखकर आनद विभोर हो जाती थी वह मन ही मन बहुत खुश होती थी उसकी प्रसन्नता चरम पर होती थी I
Q4 'सपना' कवित्त का भाव-सौंदर्य लिखिए।
Ans: सपना कवित में नायिका का कृष्ण से मिल्न पर उत्पन्न भावो का वर्णन किया था कृष्ण से मिलने की आशा में कवित्त में वियोग से योग का भाव स्पष्ट किया था कवि ने नायिका की कृष्ण से मिलने की व्याकुलता और उससे मिलना की खुश का अद्भुत वर्णन किया था I
Q5 'दरबार' सवैये में किस प्रकार के वातावरण का वर्णन किया गया है?
Ans: दरबार सवैये में राजा के दरबार का वर्णन किया गया था कवि कहता था की राजा के दरबार में सभी दरबारी मोन बैठे हुए थे केवल भोग विलास ही उस दरबार की पहचान बन गई थी वहा का राजा अंधा और दरबारी मों बने हुए थे I
Q6 दरबार में गुणग्राहकता और कला की परख को किस प्रकार अनदेखा किया जाता है?
Ans: दरबार में राजा और उसके दरबारी केवल सुंदर और भोग विलास की चीजों को ही एहमियत देते थे उनके लिए कला का कोई महत्त्व नही था उन्हें कला की पहचान करना भी नही आता था उनके लिए चुटकुले ही कला है जिससे आनद मिलता था I
Q7 (क) हेरि हियो चु लियो हरि जू हरि।
(ख) सोए गए भाग मेरे जानि वा जगन में।
(ग) वेई छाई बूँदैं मेरे आँसु ह्वै दृगन में।
(घ) साहिब अंध, मसाहिब मूक, सभा बाहिरी।Ans: अपने अध्यापक से सलाह करके उत्तर दे I
Q8 देव ने दरबारी चाटुकारिता और दंभपूर्ण वातावरण पर किस प्रकार व्यंग्य किया है?
Ans: देव ने दरबारी चाटूकारिता और द्ब्पूर्ण वातावरण पर व्यग्य करते हुए कहा था की दरबार में सभी अपनी इच्छा के मालिक बन हुए थे हर समय वे सभी भोग विलास में डूबे हुए थे रजा भी केवल नाममात्र ही थे वह भी उनके तरह ही थे सभी पर उनका अहंकार अधिक प्रभावी हो गया था I
Q9 (क) साँसनि ही ............ तनुता करि।
(ख) झहरि ................ गगन में।
(ग) साहिब अंध .............. बाच्यो।Ans: 1. जा दिन ते मुख फेरी , हरे हँसी , हेरी हियो जु लियो में ह की आवर्ती बार बार हुई थी इसमें अनुप्रास का प्रयोग किया गया था I
2. झहरी – झहरी गहरी – गहरी आदि में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार था I
3. झहरी – झहरी झीनी झीनी बूंद थे परतो मानो में उपमा अलंकार का प्रयोग किया था I