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Q1 चिंता- चिंतित
जीवन-
सुरक्षा-
पीड़ा-
पराजय-
उपेक्षा-
Ans: जीवन-जीवित
सुरक्षा- सुरक्षित
पीड़ा- पीड़ित
पराजय- पराजित
उपेक्षा-उपेक्षित
Q2 अपने प्राणों के बलिदान का अवसर आ गया है। इस वाक्य में "प्राणों का बलिदान देना" मुहावरे का प्रयोग हुआ है। नीचे कुछ और मुहावरे दिए गए हैं। इनका अपने वाक्यों में प्रयोग करो।
Ans: टूट पड़ना- पुलिस चोर को देखते ही उस पर टूट पड़ी।
निढाल होना- पूरे दिन काम करके हम निढाल हो गए।
वीरगति पाना- वीरगति पाना एक वीर के लिए सम्मान की बात होती है।
शहीद हो जाना- सैनिक शहीद हो जाने से घबराते नहीं हैं।
प्राणों की बाज़ी लगाना- माँ ने मुझे बचाने के लिए प्राणों की बाज़ी लगा दी।
मौत के मुँह में जाना- मैं मौत के मुँह में जाते-जाते बचा।
मैदान में उतरना- हम भी मैदान में उतर गए हैं।
Q3 (क) झलकारीबाई ने लक्ष्मीबाई से किस चीज़ की माँग की और क्यों?
(ख) 'जनरल! झाँसी की रानी को ज़िंदा पकड़ना तुम्हारे बूते की बात नहीं है।' यह किसने, किससे और क्यों कहा?
(ग) झलकारीबाई का क्या हुआ?
Ans: (1) झलकारीबाई ने लक्ष्मीबाई से निर्णायक युद्ध के लिए उनके वस्त्र , पगड़ी और कलगी की माँग की जिससे कि वह अग्रेजो को धोखा दे सके और रानी लक्ष्मीबाई की रक्षा कर सके I
(2) यह बात झलकिबाई ने जनरल से युद्ध के समय कही और उसने यह भी कहा कि रानी के जिदा रहते तुम उसे पकड़ भी नही सकते I
(3) झलकिबाई लड़ते – लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गई I
Q4 (क) आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वाली कुछ महिलाओं के नाम बताओ।
(ख) रानी लक्ष्मीबाई के बारे में सुभद्रा कुमारी चौहान की एक प्रसिद्ध कविता तुमने पढ़ी या सुनी होगी। उसकी कुछ पंक्तियाँ कॉपी में लिखो।
Ans: (1) बेगम हजरत महल लक्ष्मी सहगल सरोजिनी नयाडू चित्तूर की रानी चेनम्मा दुर्गा भाभी
(2) सिहासन हिम उठे , राजवंशो ने भृकुटी तानी थी ,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी ,गुमी हुई आजादी की कीमत सबसे पहचानी थी ,
दूर फिरगी को करने की सबसे मन में ठानी थी ,Q5 झलकारीबाई, लक्ष्मीबाई की हमशक्ल थी। तुम्हारे विचार से हमशक्ल होने के क्या-क्या लाभ या हानि हो सकते हैं?
Ans: हमशक्ल होने के लाभ और हानि दोनों सी है –
- जेसे गलती एक करे तो सजा दूसरे को मिलती है I
- किसी को धोखा भी आसानी से दिया जा सकता है I
- एक दूसरे का बचाव भी किया जा सकता है जेसे झलकी बाई ने किया उसने हमशक्ल होने का फायदा उठाकर अग्रेजो को धोखा देते हुए रानी लक्ष्मीबाई की जान की रक्षा की I