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Q1 (क) हर्ष और कनक छोटे होने पर भी समुद्र की लहरों में कैसे तैर सकते थे?
(ख) हर्ष का पिता क्या काम करता था?
(ग) कनक छोटे-छोटे शंखों की मालाएँ बनाकर क्यों बेचती थी?
(घ) मंजरी को कनक क्यों नहीं भाती थी?
(ङ) मंजरी ने कनक को अपना खिलौना क्यों दे दिया?
Ans: (क)हर्ष और कनक दोनों इसलिए समुद्र की लहरों पर तैर सकते थे क्योकि दोनों बचपन से ही समुद्र की गहराइयो में जाकर सोप और मोती निकालकर लाते थे I
(ख) हर्ष का पिता रंग बिरगी कोडिया , विभिन्न प्रकार के सुंदर सुंदर शख और पत्थरों से तरह तरह के खिलोने तरह तरह की मालाए तैयार करता था I
(ग) कनक छोटे – छोटे शंख की माला बनाकर बेचती थी ताकि वह अपनी माँ की मदद कर सके क्योकि उसके पिती की मृत्यु हो चुकी थी I
(घ) मंजरी को कनक इसलिए नही भाती थी क्योकि उसे समुद्र में तैरना नही आता था और वह उसे हर्ष से दूर रखना चाहती थी I
(ड) मंजरी ने कनक को अपना खिलौना इसलिए दे दिया क्यों कि कनक ने मंजरी की जान बचाई थी I
Q2 क
दूध जैसा
..........
ख
हाथी जैसा
..........
ग
रात जैसा
..........
घ
रूई जैसा
..........
ङ
चीनी जैसा
..........
Ans: (1) सफेद
(2) विशाल
(3) काला
(4) मुलायम
(5) मीठाQ3 नीचे कुछ शब्द लिखे हैं। उन्हें उचित खाने में लिखो।
कनक
मंजरी
Ans: कनक
मंजरी
दयालु
डरपोक
साहसी
ईर्ष्यालु
गरीब
अमीर
समझदार
लालची
अच्छी
लापरवाह
मेहनती
मूर्ख
मनमौजी
आलसी
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सुंदर
Q4 मंजरी बिलकुल गुड़िया जैसी सुंदर थी। तुम्हें सबसे सुंदर कौन लगती/लगता है? क्यों?
Ans: हमे कनक सबसे सुदर लगती है क्योकि वह गरीब जरुर थी मगर मन से सुंदर और भावुक थी I
Q5 (क) “वह बेचारी थी बड़ी गरीब।” लोग आमतौर पर गरीबों को बेचारा और असहाय क्यों मानते हैं? कहानी में कनक को बेचारी कहा गया है जबकि वह निडर और दूसरों की सहायता करने वाली लड़की थी। दूसरी ओर मंजरी गरीब नहीं थी पर ईर्ष्यालु और डरपोक थी। तुम्हारे विचार से असली गरीब कौन है?
(ख) तुमने अपने आस-पास अमीर और गरीब, दोनों तरह के लोग देखे होंगे। तुम्हारे विचार से गरीबी के क्या कारण हो सकते हैं?
(ग) अमीरी और गरीबी के अंतर को कैसे दूर किया जा सकता है? कुछ उपाय सुझाओ।
Ans: (1) असली गरीब वह है जो दूसरो को अपने से नीचा समझता है और उनके पहनावे और हैसियत से उनका आकलन करता है I
(2) गरीबी का कारण केवल पेंसे की तंगी होती है लेकिन वे दिल से हमेशा अमीर होते है I
(3) गरीबी और अमीरी के अंतर को केवल मानवता और भावनाओं के आधार पर दूर किया जा सकता है जब हम किसी गरीब को भी अपने समान साधरण आदमी समझने लगेगे तो यह अंतर अपने आप ही मिट जाएगा I