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Q1 लेखक ने पाठ में गानपन का उल्लेख किया है। पाठ के संदर्भ में स्पष्ट करते हुए बताएँ कि आपके विचार में इसे प्राप्त करने के लिए किस प्रकार के अभ्यास की आवश्यकता है?
Ans: लेखक ने इस पाठ में गानपन का उल्लेख करता है गानपन का अर्थ है गाने से मिलने वाली मिठास और मस्ती जिस प्रकार मनुष्य कहलाने के लिए मनुष्यता के गुणधर्म का होना जरुरी होता था उसी प्रकार संगीत में भी गानपन आवश्यक था I
Q2 लेखक ने लता की गायकी की किन विशेषताओं को उजागर किया है? आपको लता की गायकी में कौन-सी विशेषताएँ नज़र आती हैं? उदाहरण सहित बताइए।
Ans: लताजी के गायन की निम्नाकित विशेषताओ की और लेखक ने पाठको का ध्यान आकर्षित करता था I
1. गनापन व सुरीलापन वह मिठास जो श्रोता को मस्त कर देते थे I
2. उच्चारण की शुद्ता लता के गाने के उच्चारण की शुद्ता पाई जाती थी I
3. स्वरों की निर्मलता लता के गायन की मुख्य विशेषता उनके गायन की निर्मलता थी IQ3 लता ने करुण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया है, जबकि श्रृंगारपरक गाने वे बड़ी उत्कटता से गाती हैं। इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
Ans: एक संगीतज्ञ होने के कारण श्याद कुमार गधर्व सही भी हो सकते थे परतु में उनकी इस बात से सहमत नही था क्योकि उनके द्वारा ये मेरे वतन के लोगो गाना इतने भाव पूर्ण और करुणता से गाया था कि वहा बैठे प्रधानमत्री जवारलाल नेहरु की आँखों में पानी ले आया था I
Q4 संगीत का क्षेत्र ही विस्तीर्ण है। वहाँ अब तक अलक्षित असंशोधित और अदृष्टिपूर्व ऐसा खूब बड़ा प्रांत है, तथापि बड़े जोश से इसकी खोज और उपयोग चित्रपट के लोग करते चले आ रहे हैं-इस कथन को वर्तमान फ़िल्मी संगीत के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
Ans: संगीत में अपार सभावनाय छिपी थी यह श्रेत्र बहुत ही व्यापक और विस्तृत था इसमें बहुत से राग , धुनें ताल , यत्र और स्वर अनछुए रह जाते थे बहुत से सुधार होने अभी शेष था अभी कई सारे नए प्रयोग होने बाकि थे वर्तमान फ़िल्मी संगीत को देखे तों हमें पता चलता था कि रोज़ नई धुनें नए प्रयोग और नए स्वर सुनने को मिलते थे I
Q5 चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़ दिए’-अकसर यह आरोप लगाया जाता रहा है। इस संदर्भ में कुमार गंधर्व की राय और अपनी राय लिखें
Ans: कुमार गधर्व इस आरोप से सहमत नहीं था कि चित्रपट संगीत ने लोगो के कान बिगाड़ दिए थे उनके अनुसार चित्रपट संगीत से संगीत में सुधार आया था इसके कारण ही लोगो को इसके सुरीलेपन की समझ होती थी आज संगीत में लोगो की रूचि बद रही थी आज सामान्य जन भी इसकी लय की सुश्र्मता को समझ थे है I
Q6 शास्त्रीय एवं चित्रपट दोनों तरह के संगीतों के महत्त्व का आधार क्या होना चाहिए? कुमार गंधर्व की इस संबंध में क्या राय है? स्वयं आप क्या सोचते हैं?
Ans: कुमार गधर्व के अनुसार शास्त्रीय एव चित्रपट दोनों तरह के संगीतो के महत्व का आधार रजकता होना था इस बात का महत्व होना था आनद देने का सामर्थ्य किस गाने में कितना था में भी लेखक के मत से पूरी तरह सहमत था कि के एक अच्छे संगीत में मधुरता , गानपन और जुडाव होना था I