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Q1 कवि ने ‘श्रीब्रजदूलह’ किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा है?
Ans: देव जी ने श्रीबज्रदूलह श्री कृष्ण भगवान के लिए प्रयुक्त किया था वे सारे संसार में सबसे सुन्दर , सजीले, उज्जवल और महिमावान थे देव जी के अनुसार जिस प्रकार एक दीपक मदिर में प्रकाश एव
पवित्रता का सूचक था IQ2 पहले सवैये में से उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए जिनमें अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है?
Ans: 1. अनुप्रास अलकार
(1) कटी किकीनि के धुनि की मधुराई में क वर्ण की एक से अधिक बार आवर्ती हुई थी इसलिए यहाँ अनुप्रास अलकार था I
(2) सावरे अंग लसे पट पीत हिये हुलसे बनमाल सुहाई इस पक्ति में प व ह वर्ण की एक से अधिक बार आवर्ती हुई थी इसलिए यहाँ अनुप्रास अलकार था I
2. रूपक अलकार
(1) मद हँसी मुखचद जुन्हाई इस पक्ति में श्री कृष्ण के मुख की समानता चन्दमा से की गई थी उपमेय में उपमान का अभेद आरोप किया था इसलिए यहाँ रूपक अलकार
था I
(2) जे जग मदिर दीपक सुदर इस पक्ति में संसार की समानता मंदिर से की जाती है इसके कारण उपमेय में उपमान का अभेद आरोप था इसलिए यहाँ रूपक अलकार था IQ3 निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
पाँयनि नूपुर मंजु बजें, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।।Ans: देव जी कहते श्री कृष्ण केपेरो में पायल और कमर में तगड़ी आभूषण था यह मधुर ध्वनि उत्पन्न करते है कृष्ण की चाल जेसे संगीतमय हो गया था श्री कृष्ण के सावले सलोने शरीर पर पीताम्बर वस्त्र सुशोभित होता था और इसी तरह उनके गले में बनमाला धारण कर अलग ही शोभा देता था I
Q4 दूसरे कवित्त के आधार पर स्पष्ट करें कि ऋतुराज वसंत के बाल-रूप का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से किस प्रकार भिन्न है।
Ans: 1. दूसरे कवियों ने जहां वसन्त के मादक रूप को सराहा था और समस्त प्रकति को कामदेव की मादकता से प्रभावित दिखाया था इसके विपरीत देवदत्त जी ने इसे एक बालक के रूप में चित्रित करता था I
2. वसंत क्र परपरागत वर्णन में फूलो का खिलना ठडी हवाओं का चलना नायक नायिका का मिलना झूले झुलना आदि होता है परन्तु इसके विपरीत देवदत्त जी ने यहाँ प्रकति का चित्रण ममतामयी माँ के रूप में किया था I बालक वसंत के लालन पालन में सहायक बताया था I
Q5 ‘प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै’- इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
Ans: प्रस्तुत पक्तिया देवदत्त द्वारा रचित सवैया से ली गई थी इसमें वसंत रुपी बालक का प्रकति के माध्यम से लालन पालन करते दर्शाया था इस पक्ति के द्वारा कवि ने वसंत ऋतु की सुबह के प्राकतिक सोदर्य का वर्णन करते थे I वसंत ऋतु को राजा कामदेव का पुत्र बताया जाता है I
Q6 चाँदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों में देखा है?
Ans: 1. पूर्णिमा की रात में धरती और आकाश में चादंनी की आभा इस तरह फेली थी जेसे स्फटिक नामक शिला से निकलने वाली दुधिया रोशनी संसार रुपी मंदिर पर ज्योतित होती थी I
2. देव की नजरे जहां तक जाती थी उन्हें वहां तक बस चादनी ही चादनी नज़र आती थी यू प्रतीत होता था मानो धरती पर दही का समुद्र हिलोरे ले रहा था I
3. कवि देव जब चादनी रात में आकाश को निहारते है तो उन्हें ऐसा
भ्रम होता ठ मानों आकाश के सारे तारे नायिका का वेश धारण कर अपनी सुन्दरता की आभा को समस्त आकाश में बिखरे रहते थे IQ7 प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चंद’ – इस पंक्ति का भाव स्पष्ट करते हुए बताएँ कि इसमें कौन-सा अलंकार है?
Ans: चन्द्रमा सोंदर्य का श्रेष्ठतम उदाहरण था परन्तु कवि ने राधिका की सुन्दरता को चाँद की सुन्दरता से श्रेष्ठ दर्शया था तथा चाँद के सोन्दर्य को राधिका प्रतिबिम्ब मात्र बताया था इसलिए यहाँ व्यतिरेक अलकार था उपमा अलकार नहीं थे I
Q8 तीसरे कवित्त के आधार पर बताइए कि कवि ने चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन करने के लिए किन-किन उपमानों का प्रयोग किया है?
Ans: कवि ने चादनी रात की उज्वलता का वर्णन करने के लिए स्फटिक शीला से बने मंदिर का दही के समुद्र का दूध जेसे झाग मोतियों की चमक का और दर्पण की स्वछता में चार चाँद लगा दिये थे I
Q9 पठित कविताओं के आधार पर कवि देव की काव्यगत विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-Ans: 1. कवित्व एव सवैया छद का प्रयोग था I 2. देवदत ब्रज भाषा के सिध्हस्त कवि थे I
3.देवदत ने प्रकति चित्रण को विशेष महत्व दिया था I
4. भाषा बेहद मंजी कोमलता व् माधुर्य गुण को लेकर ओत प्रोत थे I